अवध में संस्कृति को अभिसिचित कर रहीं मारवाड़ की शक्तियां

अवध क्षेत्र के प्रतापगढ़ जिले में वर्षों पहले व्यापार के सिलसिले में आए मारवाड़ समाज के लोग यहीं के होकर रह गए। रजवाड़ों के गढ़ को व्यापारिक केंद्र बनाया। अपनी मेहनत से आंवला से बने उत्पाद को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दे जिले का मान बढ़ाया। वहीं इस समाज की महिलाओं ने भी तीज-त्योहार में मारवाड़ का रंग तो भरा ही सतत अभिनव प्रयोग से संस्कृति को भी अभिसिंचित किया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 11:45 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 06:06 AM (IST)
अवध में संस्कृति को अभिसिचित कर रहीं मारवाड़ की शक्तियां
अवध में संस्कृति को अभिसिचित कर रहीं मारवाड़ की शक्तियां

आशुतोष तिवारी, प्रतापगढ़ : अवध क्षेत्र के प्रतापगढ़ जिले में वर्षों पहले व्यापार के सिलसिले में आए मारवाड़ समाज के लोग यहीं के होकर रह गए। रजवाड़ों के गढ़ को व्यापारिक केंद्र बनाया। अपनी मेहनत से आंवला से बने उत्पाद को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दे जिले का मान बढ़ाया। वहीं इस समाज की महिलाओं ने भी तीज-त्योहार में मारवाड़ का रंग तो भरा ही, सतत अभिनव प्रयोग से संस्कृति को भी अभिसिंचित किया।

यूं तो तीज-त्योहार से जुड़े कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना मारवाड़ समाज की अपनी विशेषता है। तीन पीढ़ी पहले राजस्थान के मारवाड़ समाज के लोग प्रतापगढ़ में बसे तो सई नदी के परस्पर मारवाड़ की संस्कृति और सभ्यता भी प्रवाहित हो चली। मारवाड़ समाज की महिलाओं ने कुछ साल पहले निर्णय लिया कि कि क्यों ना संस्कृति और सभ्यता की धारा को सामाजिक सरोकार से जोड़ दिया जाए। इससे नई पीढ़ी भी जुड़ेगी और समाज के विकास में योगदान भी बढ़ेगा। वर्ष 2017 में मारवाड़ी महिलाओं ने अपनी इसी सोच को संगठन का रूप दे दिया। उसका नाम खंडेलवाल महिला सेवा समिति रखा गया। उसका स्लोगन दिया कि आओ कुछ बेहतर करें। इस संगठन की फाउंडर मेंबर प्रिया खंडेलवाल संगठन के कामों को लेकर बेहद उत्साहित हैं। दैनिक जागरण से बताया कि कोरोना के कारण सबकुछ ठप है। संगठन में पहले छह सदस्य थे और अब बढ़कर 20 हो गए हैं। अध्यक्ष रेखा खंडेलवाल, मंत्री ज्योत्सना खंडेलवाल एवं शशि खंडेलवाल के साथ निर्णय लेकर हम प्रतिमाह 500 रुपये संगठन के कोष में जमा करते हैं। हमनें धार्मिक आयोजनों को घर के आंगन से निकालकर स्कूल, कालेजों से जोड़ दिया। वर्ष 2019 में बेल्हा में सई नदी के घाट पर गंगा दशहरा का कार्यक्रम किया गया, इसमें सैकड़ों महिलाओं ने दीपदान किया था। बड़ी संख्या में लोग इस महोत्सव में शामिल हुए थे। गोपाल मंदिर में समर कैंप लगाया गया था। यह दस दिन का कैंप था, इसमें मेंहदी, रंगोली एवं ढोल प्रतियोगिता आयोजित की गई थी, इसमें हर वर्ग और उम्र की महिलाएं शामिल थीं, लड़कियों को सम्मानित किया गया था। उदाहरण के रूप में हम नए वर्ष को जनवरी में मनाते हैं, लेकिन हिदुओं का नया साल यानी नया संवत तो अप्रैल में आता है। नई पीढ़ी को इसे बताने के उद्देश्य के लिए ही छह अप्रैल वर्ष 2019 को नए संवत के आगमन के अवसर पर कंपनी बाग में महोत्सव आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में हर वर्ग के लोग आमंत्रित थे। इसी तरह पांडे का पुरवा गांव में स्थित परिषदीय स्कूल में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं के तहत कन्या पूजन कार्यक्रम किया गया, जिसमें 101 कन्याओं का पूजन किया गया था। उन छात्राओं को यह बताया गया था कि आज के दौर में किस तरह बेटियां पुरुषों के बराबर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व कर रही हैं, सरकारी सेवा के अलावा संगीत, खेल और फैशन के क्षेत्र में भी बेटियां अपने को आगे ले जा सकती हैं। इस तरह से खंडेलवाल महिला समिति नई पीढ़ी को धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जोड़कर उन्हें प्रोत्साहित करने का काम लगातार करती आ रही है। संगठन की अध्यक्ष रेखा खंडेलवाल कहती ं कि रीति-रिवाजों में नए आइडिया के साथ नई पीढ़ी को शामिल कर खुशियां बिखेरना ही मकसद है।

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