नई पीढ़ी ने संभाल लिया पुरखों का चाक

दीपावली में परंपरा के दीये भी जलेंगे। उनकी रोशनी से घर-आंगन को प्रकाशित किया जाएगा। ऐसी तैयारी चल रही है। गांव के ऐसे कुम्हार भी परंपरागत दीये बनाने में जुटे हैं जो आधुनिकता से बहुत दूर हैं। यही नहीं सुखद यह है कि नई पीढ़ी में कई ऐसे लोग भी हैं जो अपने पुरखों के पुश्तैनी हुनर की लौ को बुझने नहीं दे रहे। चाहे महंगाई का झटका हो या परिवार की कोई मुश्किल वह कदम पीछे नहीं हटा रहे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 11:13 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 11:13 PM (IST)
नई पीढ़ी ने संभाल लिया पुरखों का चाक
नई पीढ़ी ने संभाल लिया पुरखों का चाक

संसू, रानीगंज : दीपावली में परंपरा के दीये भी जलेंगे। उनकी रोशनी से घर-आंगन को प्रकाशित किया जाएगा। ऐसी तैयारी चल रही है। गांव के ऐसे कुम्हार भी परंपरागत दीये बनाने में जुटे हैं जो आधुनिकता से बहुत दूर हैं। यही नहीं सुखद यह है कि नई पीढ़ी में कई ऐसे लोग भी हैं जो अपने पुरखों के पुश्तैनी हुनर की लौ को बुझने नहीं दे रहे। चाहे महंगाई का झटका हो या परिवार की कोई मुश्किल वह कदम पीछे नहीं हटा रहे।

रानीगंज तहसील क्षेत्र के भागीपुर गांव निवासी सागर प्रजापति कक्षा 12 में मां वाराही जूनियर हाईस्कूल बीठलपुर में पढ़ता है। पढ़ाई के साथ पुस्तैनी काम चाक पर उंगलियां अपनी बहन सीता पिता रामकिशोर भाई के साथ फेर रहा है। चाक पर उंगलियों की जुगलबंदी कर दियाली गुल्लक, करवा, कसोरा, तराजू व जतोला बना रहा है। घर का खर्च चला रहा है। दीपावली के पर्व पर मिट्टी के बर्तन बनाने के साथ दीपक बना रहा है, जिससे उसके घर में भी खुशियां आएं। दियाली 50 रुपये सैकड़ा, गुल्लक 15 रुपये, करवा 30 रुपये में बेच रहा है। इस कला पर महंगाई की मार भी पड़ी है। एक ट्राली मिट्टी 500 रुपये में लाते थे, अब दोगुनी दाम की हो गई। रंग के दाम भी बढ़ गए। लक्ष्मी, गणेश की प्रतिमा पर खर्च ज्यादा आ रहा है। इसके बाद भी मूर्तियों को गढ़ा जा रहा है, ताकि मिट्टी की मूर्तियां सोना उगलें। दीपावली पर होने वाले कारोबार से परिवार की बहुत सारी उम्मीदें भी जुड़ी हुई हैं। सागर का कहना है कि वह पढ़ाई के साथ चाक पर काम करता है। पढ़ाई भी रहा है व बाबा-दादा के हुनर से घर परिवार का खर्च भी उठा रहा है।

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दीपावली ऐसा पर्व है, जो बाहर ही नहीं अंदर भी प्रकाश भरता है। मेरा संकल्प है कि लोगों को पटाखे व चाइनीज झालरों से दूर रहने को प्रेरित करेंगे। मिट्टी के दीये खरीदकर ही जलाएंगे, ताकि गरीब परिवारों को भी खुशियां दी जा सकें।

-सुनील दामोदर दुबे, समाजसेवी रानीगंज

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गरीब कुम्हार हमारे समाज की परंपरा को कायम रखे हैं। दीपावली पर उनसे कुछ खरीदारी करके स्वदेशी को बढ़ावा देना हम सबका कर्तव्य है। पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे इस तरह से पर्व मनाने में ही समझदारी है। हम ऐसा ही करेंगे।

-प्रवीण मिश्र, समाजसेवी रानीगंज

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