राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बभनमई में चलाया था चरखा
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का प्रतापगढ़ जिले से गहरा नाता रहा। काल
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का प्रतापगढ़ जिले से गहरा नाता रहा। कालाकांकर में विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के साथ ही जिले के रानीगंज तहसील क्षेत्र के बभनमई गांव में बापू ने चरखा चलाकर लोगों को स्वदेशी वस्त्र अपनाने पर बल दिया था। बभनमई में चरखा केंद्र बनाने के पीछे गांधी का अहम योगदान रहा। वर्ष 1938 में महात्मा गांधी बभनमई गांव में चरखा चलाकर सूतकात कर लोगों को संदेश दिया था कि स्वदेशी अपनाएं। गांधी जी के कहने पर लोगों ने बभनमई में 1936 मे चरखा केंद्र की स्थापना की गई थी। आचार्य कृपलानी के साले धीरेंद्र भाई की देख रेख में इस केंद्र के साथ ही डाकबंगले का शुभारंभ हुआ था। इस केंद्र का संचालन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित श्याम नारायण उपाध्याय ने किया था। यहां के लोगों से गांधी जी का बेहद लगाव रहा। गांधी जी वर्ष 1938 मे बभनमई गांव में पहली बार आए थे। रानीगंज तहसील क्षेत्र के बभनमई गांव में हाईवे किनारे अब गांधी चबूतरा व डाक बंगले का अस्तित्व मिट गया है। उस दौर में डाक बंगले में देश के कोने-कोने से लोग आकर रुकते थे और यही से आंदोलन की रूपरेखा तय करते थे। देश की आजादी के बाद बभनमई में प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी भी यहां आईं थीं। मौजूदा समय में गाधी चबूतरे के सुंदरीकरण के लिए पिलर खड़े किए गए हैं, बाउंड्री बनाई जा रही है। इस ऐतिहासिक धरोहर को संजोए रखने के लिए विधायक अभय कुमार धीरज ओझा प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि बापू की इस धरोहर को मिटने नहीं दिया जाएगा।
प्रस्तुति- धर्मेद्र मिश्र