कहला में अंग्रेजों को किसानों ने था ललकारा स्वतंत्रता आंदोलन की गाथा समेटे है शहीदी गांव कहला
गौरा प्रतापगढ़ जिले के रानीगंज तहसील क्षेत्र का कहला गांव स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में दज
गौरा : प्रतापगढ़ जिले के रानीगंज तहसील क्षेत्र का कहला गांव स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में दर्ज है । देश में जब अंग्रेजों के खिलाफ भारतीयों के सीने में आग जल रही थी तो कहला भी सुलग उठा था। सन 1926 में यहां पहुंचे किसान आंदोलन के नायक बाबा रामचंद्र, झिगुरी सिंह, सहदेव सिंह ने यहां पंचमुखी कौंसिल भवन बनाया और 25 मार्च 1930 को नमक कानून के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। गांव के माता चरण के नेतृत्व में 16 हजार किसान आगे आए तो माताचरण, झिगुरी सिंह, भगवानदीन को छह माह का कारावास हो गया। लगान बंदी आंदोलन शुरू हुआ तो अंग्रेजी हुकूमत गंभीर हो गई। फिर 16 फरवरी 1931 को कहला में सभा हुई । धारा 144 को तोड़कर हो रही सभा को बंद कराने का प्रयास ब्रिटिश पुलिस ने किया तो किसान भड़क उठे। उनके तेवर देख घबराए अंग्रेजी अफसरों ने गोली चलाने का आदेश दे दिया । गोली लगने से गौरा ब्लाक के कहला गांव के कालिका प्रसाद विश्वकर्मा, कौलापुर के मथुरा प्रसाद यादव तथा नाथ का पूरा गांव के रामदास उपाध्याय शहीद हो गए। इसमें 54 लोग घायल हो गए थे। शहीदों को नमन करने पंडित जवाहरलाल नेहरू भी आए और राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन भी। 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहला में सभा की और गांव में शहीद स्मारक बनवाने की घोषणा की थी । घोषणा के कई साल बाद यहां शहीदों का स्मारक बनकर तैयार हुआ। प्रस्तर सूची पर शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों के नाम भी लिखे गए हैं।
प्रस्तुति--- राजेंद्र त्रिपाठी