45 बार फोन करने पर भी नहीं मिला था शव वाहन

प्रतापगढ़ सैनिक सैनिक चंद्रलोक तिवारी के परिवार के लोगों को उपेक्षा का मलाल है। हर पल

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 10:56 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 10:56 PM (IST)
45 बार फोन करने पर भी नहीं मिला था शव वाहन
45 बार फोन करने पर भी नहीं मिला था शव वाहन

प्रतापगढ़ : सैनिक सैनिक चंद्रलोक तिवारी के परिवार के लोगों को उपेक्षा का मलाल है। हर पल उनको अपमान की पीड़ा महसूस हो रही है। साथ ही चिता भी कि परिवार का पालन पोषण कैसे हो पाएगा। सैनिक की पत्नी का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें उसके बहते आंसू सबको मर्माहत कर रहे हैं।

हद तो यह है कि सशस्त्र सलामी तो दूर, उस परिवार को पार्थिव शरीर ले जाने के लिए शव वाहन तक न मिल सका। सराय नानकार के चंद्रलोक सेना में ही थे। वहीं पर कर्तव्य की बलिवेदी पर वह बीमार हुए। उनके आन ड्यूटी निधन पर सरकार क्या मदद करती है यह तो अलग बात है, पर लोकल स्तर पर सैनिक की उपेक्षा होना हर किसी को अखर रहा है। उनके परिवार को गहरा आघात लगा है। अंतिम यात्रा के लिए सरकारी शव वाहन तक न मिलना कई सवाल खड़े करता है। सत्ता पक्ष के लोगों की जुबां पर भी ताला। कुछ लोग पहुंचे, कुछ मदद की। ठीक है, पर सैनिक को उसका हक दिलाने को स्वर नहीं उठे। क्या यह सैनिक सरकारी पुष्प चक्र का भी हकदार नहीं। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को सैनिक के पिता ने 45 बार फोन किया। शव वाहन तब भी नहीं मिला। कुछ संगठन इस अपमान का विरोध कर रहे हैं। शहीद रीतेश पाल को जो सम्मान मिला वह सराहनीय है, पर चंद्रलोक के लिए कुछ तो घोषणा होती, कुछ तो संवेदना के शब्द मरहम बनते। पिता वीरेंद्र कुमार की आंखों में बेटे को खोने से कहीं अधिक उपेक्षा के आंसू हैं। आखिर सैनिक की पत्नी रुचि तिवारी मासूम बेटे शिवा को क्या समझाए। कैसे बताए कि अब उसके पापा कभी नहीं आएंगे। उसे बड़ी जल्दी अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा। रुचि को बेटे की शिक्षा व लालन-पालन की चिता सताने लगी है।

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