31 गांवों का लहू बताएगा, तीसरी लहर से कैसे है टकराना
कोरोना वायरस की तीसरी लहर से लोग कहां तक लड़ पाएंगे। उनके शरीर में इम्युनिटी का औसत क्या है। इसका पता एंटीबाडी टेस्ट से चलेगा। इसके लिए चयनित 31 गांवों से लोगों के ब्लड सैंपल ले लिए गए हैं। यह नया प्रयोग है। कोरोना की पहली लहर ने बहुत कहर ढाया। दूसरी ने भी सांसों का संकट खड़ा कर दिया। फिलहाल अब हालात थोड़े ठीक हुए हैं लेकिन तीसरी लहर की आहट सुनी जा रही है। सरकार व स्वास्थ्य विभाग इसको लेकर सतर्क भी है।
राज नारायण शुक्ल राजन, प्रतापगढ़ : कोरोना वायरस की तीसरी लहर से लोग कहां तक लड़ पाएंगे। उनके शरीर में इम्युनिटी का औसत क्या है। इसका पता एंटीबाडी टेस्ट से चलेगा। इसके लिए चयनित 31 गांवों से लोगों के ब्लड सैंपल ले लिए गए हैं। यह नया प्रयोग है। कोरोना की पहली लहर ने बहुत कहर ढाया। दूसरी ने भी सांसों का संकट खड़ा कर दिया। फिलहाल अब हालात थोड़े ठीक हुए हैं, लेकिन तीसरी लहर की आहट सुनी जा रही है। सरकार व स्वास्थ्य विभाग इसको लेकर सतर्क भी है। तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं। इसमें एक नया प्रयोग करते हुए एंटीबाडी की पड़ताल की जा रही है। लोगों में एंटीबाडी बनने का अनुपात क्या है, इसकी रिपोर्ट आने पर उसके अनुसार सरकार तय करेगी कि क्या करना है। --
752 लोगों का लिया सैंपल
शासन ने खुद ही उन गांवों की सूची बनाई, जहां सैंपल लेने थे। ऐसे 31 गांव पोर्टल पर आए तो जिला सर्विलांस यूनिट सक्रिय हो गई। वहां गांवों में पहुंचने लगी। एक गांव से 24 लोगों का सैंपल लेना था। टीम ने इससे कुछ ज्यादा ही लिए, ताकि कोई सैंपल खराब होने पर कमी न पड़े। जिले के कुल 17 ब्लाकों में से औसत दो गांवों को लिया गया है।
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हर उम्र की रही सहभागिता
जो सैंपल लिए गए हैं वह अलग-अलग आयु के लोगों के हैं। एक गांव के चार पुरवे तय किए गए। हर पुरवे से छह लोगों के सैंपल लिए गए। इनमें दो बुजुर्ग, दो युवा महिला व पुरुष व दो किशोरवय के सैंपल शामिल रहे। ऐसा करने का मकसद रहा कि हर आयु वर्ग के लोगों के बारे में पता चले।
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22 कोरोना संक्रमित भी जांच में
सैंपल लेने में सबकी सहभागिता तय की गई। वैक्सीन लगवा चुके, न लगवाने वाले दोनों के सैंपल लिए गए। यही नहीं 22 कोरोना संक्रमितों के सैंपल भी लिए गए, जो उपचार के बाद स्वस्थ हो चुके हैं। उनमें भी एंटीबाडी के विकास की रफ्तार को विशेषज्ञों द्वारा समझा जाएगा।।
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क्या है एंटीबाडी
एंटीबाडी के बारे में जिले के वरिष्ठ फिजीशियन डा. आरपी चौबे बताते हैं कि यह एक तरह का शरीर का तत्व है। इसका निर्माण बाडी का इम्युन सिस्टम किसी भी वायरस को प्रभावहीन करने के लिए पैदा करता है। चिकित्सा विज्ञान में इसके दो प्रकार बताए गए हैं। पहले को आईजीएम व दूसरे को आईजीजी कहते हैं। दोनों के शरीर में बनने व टिकने की अवधि भिन्न होती है। जिस व्यक्ति में एंटीबाडी कम या देर से बनती है, वह संक्रमण से कम लड़ पाता है।
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एंटीबाडी टेस्ट के लिए शासन के निर्देश पर रैंडम अभियान चलाकर सैंपल लिए गए हैं। इनको जांच के लिए केजीएमयू भेजा गया है। जल्दी ही रिपोर्ट आएगी।
-डा. एके श्रीवास्तव, सीएमओ