दर्जनभर हड़ताली एंबुलेंस कर्मियों पर लटकी तलवार
प्रतापगढ़ मांगों को लेकर आवाज उठाने पर जिले के दर्जनभर एंबुलेंस कर्मियों पर कार्रवाई ह
प्रतापगढ़ : मांगों को लेकर आवाज उठाने पर जिले के दर्जनभर एंबुलेंस कर्मियों पर कार्रवाई हो सकती है। यह ऐसे कर्मी हैं जो शुरू से ही आंदोलन को लीड कर रहे हैं।
जिले में 102-108 व एएलएस सेवा की कुल 82 एंबुलेंस हैं। इनको खड़ी करके कर्मियों ने एक सप्ताह तक यहां आंदोलन किया। इससे मरीजों की दुर्गति हो रही। घर के लोग उनको ई रिक्शा, टेंपो, बाइक से अस्पताल ले आने को विवश होते रहे। इसके बाद तीन दिन पहले सीएमओ ने अफसरों के साथ धरना स्थल पिरथीगंज हवाई पट्टी पर जाकर सभी एंबुलेंस कब्जे में ले लीं, लेकिन कर्मी सब उनके साथ नहीं आए। करीब दो दर्जन कर्मी प्रदेश अध्यक्ष का साथ देने को लखनऊ चले गए। प्रदेश अध्यक्ष हनुमान पांडेय नजरबंद किए गए हैं। उनको कहां रखा गया है, अब तक पता नहीं चला है। इससे कर्मियों में गुस्सा है। इधर पूरे प्रदेश में सैकड़ों हड़ताली कर्मियों पर कार्रवाई हो चुकी है। प्रतापगढ़ के जिलाध्यक्ष समेत उनके प्रमुख सहयोगी भी शासन की नजर में खटक रहे हैं। कार्रवाई की तलवार लटकने के बाद भी वह लोग लखनऊ में धरना दे रहे हैं।इधर जिले में एंबुलेंस संचालन अब तक पटरी पर पूरी तरह से नहीं आ सका है। कुछ गाड़ियां चल जरूर रही हैं, पर वह अपर्याप्त हैं। मरीजों को परेशानी बनी हुई है। रविवार को भी मेडिकल कालेज के पुरुष व महिला अस्पतालों में मरीजों को ले आने में स्वजनों को भारी परेशानी की सामना करना पड़ा।
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भर्ती रैली की सूचना वायरल
इस बीच एंबुलेंस एजेंसी जीवीके द्वारा एंबुलेंस के चालकों की भर्ती की सूचना प्रसारित किए जाने पर भी कर्मी सतर्क हो गए हैं। प्रतापगढ़ के लिए पुलिस लाइन रायबरेली में भर्ती रैली की सूचना इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, पर इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो रही है। कार्यक्रम प्रबंधक पर उत्पीड़न का आरोप : जिले के कई एंबुलेंस कर्मियों ने कार्यक्रम प्रबंधक सचिन राज पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। कहा है कि जूता न पहनने पर वह वसूली करते हैं। निकलवा देने की धमकी देते हैं। इससे कर्मी परेशान है। कई कर्मियों से पैसे वसूले गए हैं। यहीं नहीं वह निजी कार्य में एंबुलेंस का इस्तेमाल करवाते हैं। इसकी जांच होनी चाहिए। इस बारे में सचिन राज का कहना है कि समुचित वेशभूषा में न रहने पर चेतावनी व जुर्माना की कार्रवाई की जाती है। उत्पीड़़न का आरोप गलत है।