सपा-जनसत्ता में जोर आजमाइश, भाजपा ने भी ठोंकी ताल
आखिर जिला पंचायत सदस्यों की कुल 57 सीटों का चुनाव परिणाम साफ हो गया। इसी के साथ जिला पंचायत अध्यक्ष की ताजपोशी की रेस भी शुरू हो गई। सबसे ज्यादा मत पाकर फूली नहीं समा रही सपा की कोशिशें इस दौड़ के लिए रफ्तार पकड़ चुकी हैं। कुछ इसी अंदाज में दूसरा स्थान बनाने वाली जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) भी पूरे दमखम के साथ मैदान में है। वहीं अपने ही गढ़ में ढेर हो चुकी भाजपा महज आठ सदस्यों के बलबूते इस दौड़ में शामिल हो चुकी है। सत्तारूढ़ दल के इस नए पैंतरे से सपा और जनसत्ता दल जनसत्ता दल के रणनीतिकार सकते में हैं।
आशुतोष तिवारी, प्रतापगढ़ : आखिर जिला पंचायत सदस्यों की कुल 57 सीटों का चुनाव परिणाम साफ हो गया। इसी के साथ जिला पंचायत अध्यक्ष की ताजपोशी की रेस भी शुरू हो गई। सबसे ज्यादा मत पाकर फूली नहीं समा रही सपा की कोशिशें इस दौड़ के लिए रफ्तार पकड़ चुकी हैं। कुछ इसी अंदाज में दूसरा स्थान बनाने वाली जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) भी पूरे दमखम के साथ मैदान में है। वहीं अपने ही गढ़ में ढेर हो चुकी भाजपा महज आठ सदस्यों के बलबूते इस दौड़ में शामिल हो चुकी है। सत्तारूढ़ दल के इस नए पैंतरे से सपा और जनसत्ता दल जनसत्ता दल के रणनीतिकार सकते में हैं।
जिले की साफ हुई 57 सीटों पर एक नजर डालें तो सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नतीजा भाजपा का रहा। ऐसा समझा जा रहा था कि इस चुनाव में पार्टी की प्रतिष्ठा के लिए विधायक से लेकर कैबिनेट मंत्री तक अपना सबकुछ दांव पर लगाए बैठे हैं। कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह ने पट्टी विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले रखी थी। इसी तरह विधायक धीरज ओझा रानीगंज विधानसभा, विधायक आरके वर्मा विश्वनाथगंज विधानसभा क्षेत्र में पूरी ताकत के साथ डटे थे। वहीं जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के गढ़ कुंडा, बिहार और बाबागंज में भाजपा शासन के राज्य मंत्री सुनील भराला को विशेष रूप से जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कांग्रेस के अभेद्य दुर्ग माने जाने वाले रामपुर खास विधानसभा क्षेत्र में स्वयं भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्रा दिन-रात लगे थे। भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने एक रणनीति के तहत यह मान लिया था कि उनकी झोली में 31 सीट आनी ही आनी है। भाजपा अपने होमवर्क के बलबूते बाबागंज, बिहार, कुंडा की 17 जिला पंचायत सदस्यों में से आठ सीटें अपने खाते में जोड़ चुकी थी। इसी तरह रामपुर खास विधानसभा क्षेत्र में आने वाली दस सीटों में से सात, विश्वनाथगंज क्षेत्र की दस सीटों में से छह सीट, पट्टी विधानसभा क्षेत्र की 11 सीटों में से छह और रानीगंज विधानसभा क्षेत्र की छह सीटों में से चार पर भाजपा अपना कब्जा मान कर चल रही थी। पिछले तीन महीने की कवायद के बावजूद भाजपा महज आठ सीटों पर सिमट कर रह गई। भाजपा के लिए जितना चौंकाने वाला यह नतीजा रहा, वहीं भाजपा ने ताजपोशी की अगली रणनीत तय कर प्रतिद्वंद्वियों को चौंकने के लिए मजबूर कर दिया। भाजपा के जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र मानते हैं कि सपा जिला पंचायत के चुनाव में बाजी मार ले गई। इसके साथ वह चुनौती भी देते हैं कि अभी लड़ाई खत्म कहां हुई, जिला पंचायत अध्यक्ष की लड़ाई में भाजपा ही सबसे आगे है। उनके पास कई निर्दलीय और कई दूसरे दलों के जीते सदस्य संपर्क में हैं। अपने 17 नव निर्वाचित सदस्यों के साथ निर्दलीयों को साधने में लगी सपा सत्तारूढ़ दल भाजपा की इन नई चाल से सकते में है। वहीं 12 सीट लेकर जनसत्ता लोकतांत्रिक दल भी भाजपा की इस नई चाल को लेकर सपा पर भी नजर रखे हुए हैं। करारी शिकस्त के बाद भी भाजपा की ताजपोशी के लिए कोशिश के दावे ने सियासी रणनीतिकारों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अब सबकी नजर निर्दलीयों पर है, इतना तय है कि निर्दलीयों की कृपा जिस पर बरसेगी, पंचायत अध्यक्ष का सेहरा उसी के सिर सजेगा। सपा के जिला महासचिव अब्दुल कादिर गिलानी कहते हैं कि लड़ाई रोचक मुकाम पर है, कोशिश करने से ही बात बनती है।