रात तीन बजे एसपी हुए ऑन माइक, सात बजे फोर्स सड़क पर
भारत बंद के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर एसपी रात तीन बजे आन माइक हो गए इसका नतीजा रहा कि हमेशा से दो घंटे पहले सुबह सात बजे ही फोर्स सड़क पर मुस्तैद हो गई। फिर पूरे दिन पुलिस की सतर्कता बनी रही।
प्रतापगढ़ : भारत बंद के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर एसपी रात तीन बजे आन माइक हो गए, इसका नतीजा रहा कि हमेशा से दो घंटे पहले सुबह सात बजे ही फोर्स सड़क पर मुस्तैद हो गई। फिर पूरे दिन पुलिस की सतर्कता बनी रही।
राजनीतिक दलों व किसान यूनियनों के कार्यकर्ताओं की घेरेबंदी के लिए एसपी ने पूरा चक्रव्यूह बनाया था। उनकी योजना हर आंदोलन से कुछ अलग हटकर करने की थी। हमेशा नौ बजे फोर्स ड्यूटी प्वाइंट पर पहुंचती थी, इस बार उन्होंने फोर्स को सुबह सात बजे तैनात करने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने सभी फालोअर को सोमवार की रात तीन बजे कैंटीन पहुंचने का निर्देश दिया था। ताकि पांच बजे तक भोजन बन जाए और छह बजे सिपाही भोजन करके तैयार हो जाएं। यही नहीं, उन्होंने शांति व्यवस्था बिगाड़ने वाले लोगों से एन केन प्रकारेण निपटने के लिए पुलिस कर्मियों को खुली छूट दी थी।
यूपी के पश्चिम के जिलों में ट्रैक्टर से लद-लदकर किसान जिला मुख्यालय पहुंच जाते हैं। इस अनुभव के मद्देनजर एसपी ने सुबह सात बजे से शहर में ट्रैक्टर, माल वाहक वाहन, मिनी ट्रक, ट्रक आदि के प्रवेश पर लोग लगा दी थी। इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए एसपी अनुराग आर्य रात तीन बजे वायरलेस सेट पर आनमाइक हो गए और फालोअरों की उपस्थिति को चेक किया। फिर सुबह सात बजे सभी सीओ, थानेदारों सहित पुलिस कर्मियों की लोकेशन व ड्यूटी पर पहुंचने की जानकारी ली। यही नहीं एसपी खुद सुबह नौ बजे चौक घंटाघर के पास मंकद्रूगंज चौकी के बाहर पहुंच गए। सुबह करीब दस बजे एक ट्रैक्टर चालक ट्राली पर ईंट लादकर उनके सामने से गुजरा, इस पर एसपी ने पूछ लिया कि नो इंट्री के बावजूद यह ट्रैक्टर शहर में कैसे आ गया। इस पर एएसपी पूर्वी सुरेंद्र द्विवेदी बोल पड़े कि नगरपालिका का सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है। इसलिए यह ट्रैक्टर आ गया। भारत बंद का नहीं दिखा कोई असर
संसू, प्रतापगढ़ : किसानों के भारत बंद का यहां कोई असर नहीं दिखा। रोज की तरह शहर से लेकर देहात में निर्धारित समय पर दुकानें खुलीं थी। दुकानों पर ग्राहकों की चहल पहल भी थी। शहर में सपा, कांग्रेस, बसपा, वामपंथी दलों व किसान यूनियनों के कार्यकर्ता फोर्स की मुस्तैदी के कारण दुकानें बंद कराने का प्रयास नहीं कर सके। व्यापारियों को सुरक्षित होने का एहसास दिलाने के लिए शहर से लेकर कस्बों में चप्पे-चप्पे पर फोर्स मुस्तैद थी।