पंचायत चुनाव में स्लोगन की बही बयार, बांट रहे डर और प्यार

नेता नहीं बेटा चुनें। न ऊंच-नीच की बात कोई न जातिवाद का नारा है..। राजनीति में हो बदलाव विकास लक्ष्य हमारा है..। इस तरह के लुभावने व संकल्प को व्यक्त करते जोशीले नारों से पंचायत चुनाव का प्रचार युद्ध शुरू हो गया है। होली व ईद समेत हर तरह के पर्व की बधाई भी मतदाताओं को मिल रही है। पंचायत चुनाव के लिए इसी तरह के स्लोगन की बयार बह चली है। इसी बहाने मतदाताओं को प्यार की झप्पी और डर की भभकी भी दी जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 10:25 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 10:25 PM (IST)
पंचायत चुनाव में स्लोगन की बही बयार, बांट रहे डर और प्यार
पंचायत चुनाव में स्लोगन की बही बयार, बांट रहे डर और प्यार

जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : नेता नहीं, बेटा चुनें। न ऊंच-नीच की बात कोई न जातिवाद का नारा है..। राजनीति में हो बदलाव, विकास लक्ष्य हमारा है..। इस तरह के लुभावने व संकल्प को व्यक्त करते जोशीले नारों से पंचायत चुनाव का प्रचार युद्ध शुरू हो गया है। होली व ईद समेत हर तरह के पर्व की बधाई भी मतदाताओं को मिल रही है। पंचायत चुनाव के लिए इसी तरह के स्लोगन की बयार बह चली है। इसी बहाने मतदाताओं को प्यार की झप्पी और डर की भभकी भी दी जा रही है।

पंचायत चुनाव का रंग धीरे-धीरे गांवों पर चढ़ रहा है। दावेदार फ्लैक्स व प्रिटिग प्रेस पर प्रचार सामग्री छपवाने को टूट पड़े हैं। सबको जल्दी से जल्दी सामग्री छपवाकर गली-चौराहों पर लगा देने की बेचैनी है। वह दिन व रात का अंतर भूल गए हैं। हर वक्त मैदान में हैं। प्रचार करने के नए-नए तरीके भी इस बार देखने को मिल रहे हैं। अभी तो प्रचार का प्रारंभिक दौर है, पर रफ्तार तेज है। उम्मीदवार एक से बढ़कर एक स्लोगन दे रहे हैं। कुछ ने तो शेर-ओ-शायरी का भी सहारा लिया है। दुष्यंत कुमार की मशहूर पंक्तियां..सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए..का भी इस्तेमाल प्रचार में किया जा रहा है। एक ने नारा दिया है कि नाम नहीं, काम बोलता है। एक ने अपने परिवार के पहले चुने गए प्रतिनिधियों का पूरा विवरण ही लिख मारा है कि पिता, पत्नी के बाद अब उनको सेवा का मौका दिया जाए। कोई देश भक्तों व अमर शहीदों के चित्र लगाकर अपने को दल के दलदल से अलग बेदाग व सेवक साबित करने का प्रयास कर रहा है। कोई अपने को गांव के विकास का नया सूरज कह रहा है तो कोई दुख-सुख का साथी बताकर दिल में पैठ बनाने में लगा है। प्रचार सामग्री की दुकानें भी सजने लगी हैं। अभी जब तक चुनाव निशान नहीं मिला है, लोग अलग अंदाज में प्रचार कर रहे हैं। वह युवाओं में अपने नाम से अपील करते नारों वाली टी शर्ट व हैट बांट रहे हैं। उसमें गांव का नाम व विकास का संकल्प लिखा है, केवल निशान नहीं है। यही नहीं गांव वालों के दुख-सुख में वह पहले से अधिक समय दे रहे हैं। वहां रहकर वह चुनाव की नब्ज को भी टटोल रहे हैं कि हवा किधर बहने वाली है।

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