अभियान : जलस्तर को खिसकने नहीं देता सहाब का तालाब

कोई भी मौसम हो सहाब के तालाब में पानी कम नहीं होता। इसमें पानी भरा रहता है। बिहार विकासखंड के बिहार बाजार के समीप यह एक ऐसा तालाब है जो भूगर्भ जल का भंडार है। क्षेत्र में जलस्तर को कभी खिसकने नहीं देता। हैंडपंप बेकार नहीं होते। कुएं में भी पानी बना रहता है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 10:41 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 10:41 PM (IST)
अभियान : जलस्तर को खिसकने नहीं देता सहाब का तालाब
अभियान : जलस्तर को खिसकने नहीं देता सहाब का तालाब

संसू, बाघराय : कोई भी मौसम हो सहाब के तालाब में पानी कम नहीं होता। इसमें पानी भरा रहता है। बिहार विकासखंड के बिहार बाजार के समीप यह एक ऐसा तालाब है, जो भूगर्भ जल का भंडार है। क्षेत्र में जलस्तर को कभी खिसकने नहीं देता। हैंडपंप बेकार नहीं होते। कुएं में भी पानी बना रहता है।

इस तालाब का पानी कभी सूखा नहीं। इसे क्षेत्र के लोग ईश्वरीय चमत्कार मानते हैं। आठ बीघे के रकबे में फैले इस जलाशय से लोगों की आस्था भी जुड़ी है। कोई भी व्यक्ति इस क्षेत्र में जब भी मांगलिक कार्य का प्रारंभ करता है तो इस तालाब का पूजन जरूर करता है। कहां तो यहां तक जाता है कि राजा दशरथ एक बार शिकार करते हुए यहां आए गए थे। परियों की मौजूदगी में वह तालाब में पानी पीने लगे तो श्राप से नारी बन गए। बाद में यज्ञ आदि करने पर वह पुरुष बन पाए थे। यही नहीं जनश्रुति पर यकीन करें तो महात्मा बुद्ध ने इस तालाब के किनारे साधना की थी। आसपास बिहार किया था, इसी कारण यह स्थान बिहार कहा जाता है। इसी नाम से बाजार व ब्लाक भी है। यह तालाब रामदास पट्टी व टेकीपट्टी दोनों गांवों में संयुक्त रूप से है।

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करते हैं नौका विहार

सहाब के तालाब पर हमेशा एक नाव रहती है। कोई भी व्यक्ति नाविक बुलाकर इस पार से उस पार जा सकता है। कभी-कभी कुछ लोग दूसरे जनपद से आकर इस तालाब व बौद्ध संस्कृति व धरोहर के महत्व के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। वह घंटों इस तालाब को निहारते रहते हैं। सहाब का तालाब नाम कैसे पड़ा इस बारे में कोई नहीं जानता।

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काश संवर जाए जलाशय

वन विभाग इसके सुंदरीकरण के लिए वादे तो कई बार किया, पर कुछ शुरुआत नहीं हो सकी। तालाब की आज तक प्रशासन ने उपेक्षा की है।डीएफओ की देखरेख में यहां पर हर साल बर्ड वाचिग डे मनाया जाता है। वन विभाग के मंडल स्तर के अधिकारी मौजूद रहते हैं। वह लोगों को पशु-पक्षी को न मारने के लिए जागरूक करते हैं।

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