तीन मिनट में अपनों से दर्द बयां करते हैं बंदी
दिनेश सिंह प्रतापगढ़ कोरोना काल में मुलाकात को तरस रहे बंदी तीन मिनट में फोन पर अपन
दिनेश सिंह, प्रतापगढ़ : कोरोना काल में मुलाकात को तरस रहे बंदी तीन मिनट में फोन पर अपनों से अपना दर्द बयां करते हैं। यह मौका बंदियों को सिर्फ हफ्ते में दो दिन मिल पाता है। वही हाल बंदियों के स्वजनों का है। उन्हें भी जेल में बंद अपने स्वजन का फोन आने का बेसब्री से इंतजार रहता है। यहां के जेल की क्षमता 458 बंदियों की है, लेकिन यहां हमेशा दो से तीन गुना अधिक बंदी बंद रहते हैं। इस समय 1206 बंदी बंद हैं। कोरोना काल के पहले बंदियों से उनके परिवार के लोग हफ्ते में दो दिन मिल सकते थे, पर कोरोना काल ने बंदियों से उनके स्वजनों को दूर कर दिया है। 20 मार्च 2020 के बाद से जेल में बंदियों से मुलाकात बंद है, इससे बंदियों के परिवार के लोग काफी परेशान हैं। बंदियों के स्वजनों की परेशानी को देखते हुए जेल प्रशासन ने दो मोबाइल का इंतजाम किया। अब एक बंदी तीन मिनट तक मोबाइल पर अपने स्वजन से अपना सुख दुख साझा करता है। साथ ही घर वालों की परेशानी से भी अवगत होता है। यह अवसर बंदी को हफ्ते में दो दिन ही मिलता है। बंदी रक्षक बैरक से 20-20 बंदियों को निकालते हैं और फिर फोन पर उनकी बात उनके परिवार के लोगों से कराते हैं। तीन मिनट से अधिक बात कराना भी संभव नहीं है क्योंकि बंदियों की तादाद 12 सौ से अधिक है। -- जेल में ही बनाया जा रहा मास्क बंदियों के लिए जेल में ही मास्क बनाया जा रहा है। दो बंदी ऐसे हैं, जो सिलाई का काम जानते हैं। वही दोनों बंदी सभी बंदियों के लिए मास्क तैयार करते हैं। प्रत्येक बंदी को दो-दो मास्क एक साथ उपलब्ध कराया गया था। जब मास्क खराब हो जाता है तो बंदी को दूसरा मास्क दे दिया जाता है। --- कोरोना काल में बंदियों से मुलाकात बंद है। बंदी फोन पर तीन मिनट तक अपने परिवार के लोगों से बात करते हैं। हफ्ते में दो दिन बंदी अपने स्वजन से बात कर सकते हैं- आरपी चौधरी, प्रभारी जेल अधीक्षक