बाजार में बहार, बढ़ने लगा आंवला कारोबार
प्रतापगढ़ कोरोना कर्फ्यू में बेजार हुए आंवले के दिन अब बाजार अनलाक होते ही लौटने लगे हैं। दो
प्रतापगढ़ : कोरोना कर्फ्यू में बेजार हुए आंवले के दिन अब बाजार अनलाक होते ही लौटने लगे हैं। दो माह बाद अब सप्ताह में पांच दिन दुकान, रेस्टोरेंट खोलने की छूट मिलने के साथ ही अमृतफल का कारोबार धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा है।
जिले की पहचान आंवले से है। एक जनपद-एक उत्पाद में इसे ही चुना गया है। औद्योगिक क्षेत्र सुखपाल नगर में बड़े पैमाने पर यूनिट लगाई गई है। यहां आंवले की बर्फी, अचार, मुरब्बा, लड्डू, चटनी, टाफी बनती है। कोरोना काल के पहले, बड़े पैमाने पर उत्पाद की खपत जिले के साथ गैर प्रांतों में भी हो रही थी। पिछले दो माह से कोरोना की वजह से कर्फ्यू लगाया गया तो दुकान, रेस्टोरेंट, होटल हो गए। बाजार पर चलने वाला आंवला का कारोबार इसकी वजह से बंद हो गया। कारोबार चौपट हो गया। सप्ताह भर पहले पांच दिन बाजार खोलने की अनुमति मिलने के साथ ही आंवला और उसके उत्पादों की डिमांड बढ़ने लगी है।
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हर साल 20 से 25 करोड़ का कारोबार
शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में आंवले के करीब 40 उद्योग हैं। आधा दर्जन ऐसे उद्यमी हैं जो बड़े पैमाने पर कारोबार करते हैं। कोरोना के पहले करीब दर्जनभर उद्यमी हर माह दो से ढाई करोड़ रुपये का कारोबार करते थे। इस तरह साल भर में 20 से 25 करोड़ रुपये का कारोबार होता था। इधर, कोरोना के चलते दो माह तक उद्यमियों की बोहनी नहीं हुई।
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कोलकाता, बिहार, मध्य प्रदेश में भेजा जाएगा उत्पाद
आंवले का उत्पाद उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि गैर प्रांतों में भी भेजा जाता है। बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, केरल, कोलकाता में भी अधिक मांग है। प्लांट का संचालन शुरू होने से अब इसे गैर प्रांतों में भी डिमांड पर भेजा जाएगा।
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बोले उद्यमी--
फोटो : 13 पीआरटी 02
दो माह कारोबार ठप होने से व्यवसाय पूरी तरह चौपट हो गया था। अब फिर से शुरू हुआ है। उम्मीद है कि आंवले के उत्पाद की पहले जैसी डिमांड होगी।
- मनोज सिंह, गोड़े
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फोटो : 13 पीआरटी 25
कोरोना के पहले मांग के अनुसार उत्पाद भेजना मुश्किल हो जाता था। शासन से छूट मिलने पर फिर से उत्पाद तैयार कराना शुरू किया है। अब राहत है।
- अनुराग खंडेलवाल, उद्यमी