एक तिहाई ग्राम पंचायतों पर होगा महिलाओं का कब्जा

ग्राम प्रधान की सीटों का आरक्षण अभी संख्या के लिहाज से सामने आ गया है। इसमें जनपद में एक तिहाई ग्राम पंचायत की मुखिया की कुर्सी पर महिलाओं का कब्जा होगा। शुक्रवार को शासन से जारी हुई आरक्षण सूची इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गई। इसमें कहा गया कि जनपद में 1193 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें घोषित आरक्षण पर नजर डालें तो सामान्य महिलाओं के लिए 197 अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए 92 पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए 113 सीटें आरक्षित की गई है। इस तरह से कुल 402 ग्राम पंचायतों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व होगा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Feb 2021 10:47 PM (IST) Updated:Fri, 12 Feb 2021 10:47 PM (IST)
एक तिहाई ग्राम पंचायतों पर होगा महिलाओं का कब्जा
एक तिहाई ग्राम पंचायतों पर होगा महिलाओं का कब्जा

जासं, प्रतापगढ़ : ग्राम प्रधान की सीटों का आरक्षण अभी संख्या के लिहाज से सामने आ गया है। इसमें जनपद में एक तिहाई ग्राम पंचायत की मुखिया की कुर्सी पर महिलाओं का कब्जा होगा। शुक्रवार को शासन से जारी हुई आरक्षण सूची इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गई। इसमें कहा गया कि जनपद में 1193 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें घोषित आरक्षण पर नजर डालें तो सामान्य महिलाओं के लिए 197, अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए 92, पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए 113 सीटें आरक्षित की गई है। इस तरह से कुल 402 ग्राम पंचायतों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व होगा। इसी प्रकार अनुसूचित जाति पुरुष 165, पिछड़ा वर्ग पुरुष 207 सीटें निर्धारित की गई है। इसके अलावा 419 सीटें अनारक्षित हैं। डीपीआरओ रवि शंकर द्विवेदी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि शासन से सूची मिल गई है। इसी के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। प्रधान और बीडीसी पर अभी तस्वीर साफ नहीं

जासं, प्रतापगढ़ : आगामी दिनों में होने वाले पंचायत चुनाव में उतरने के लिए कमर कस चुके प्रधान व बीडीसी पद के दावेदार आरक्षण के फाइनल होने का इंतजार कर रहे हैं। इन सीटों पर अब तक तस्वीर साफ नहीं हो सकी है।

इधर शुक्रवार को शासन द्वारा जिला पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण के बारे में स्थिति स्पष्ट कर दिए जाने के बाद उनकी बेचैनी और बढ़ गई है। अब प्रधान बनने की तैयारी वह कैसे करें इस बारे में माथापच्ची कर रहे हैं। यह तो तय ही है कि सीटों का स्वरूप बदलेगा। जहां सामान्य सीट थी, वहां अब आरक्षित हो सकती है। महिला की सीट पुरुष सामान्य हो सकती है। ऐसे में चुनाव लड़ने वाले दावेदार इस चिता में पड़ गए हैं कि उनकी गोट कैसे फिट हो। उनके गांव का आरक्षण बदल जाने पर हो सकता है कि वह खुद पर्चा न भर पाएं। ऐसे में वह अपनी जगह किसे लड़ाएंगे यह भी उनके सामने एक बड़ा सवाल चुनौती बना है। इधर प्रशासन को अभी तक गाइडलाइन नहीं मिली है। शुक्रवार को एडीएम शत्रोहन वैश्य से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में शासन व आयोग का कोई लिखित आदेश नहीं आया। हालांकि जिस तरह से आयोग कार्य कर रहा है, उससे जल्दी ही नए निर्देश मिलने की संभावना है।

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