खाता नंबर गलत फीड कराने से नहीं मिले एक करोड़
धान विक्रय करने से पहले किसानों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया था। इसके बाद केंद्र पर जाकर अपना धान विक्रय किया था। जब किसानों के खाते में पैसे भेजने की तैयारी होने लगी तो तो पता चला कि 60 से अधिक किसानों ने पंजीकरण कराने के दौरान अपना खाता नंबर गलत फीड कराया है। इससे उनके खाते में पैसे का भुगतान नहीं हो पा रहा है। किसानों को कोई परेशानी हो इसके लिए पीसीएफ जिला प्रबंधक ने केंद्र प्रभारियों को सख्त निर्देश दिया है कि उसे दुरुस्त कराकर तत्काल पैसा खाते में भिजवाएं। हालांकि कई किसानों के खाते में पैसा पहुंचने की भी जानकारी मिल रही है।
संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : धान विक्रय करने से पहले किसानों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया था। इसके बाद केंद्र पर जाकर अपना धान विक्रय किया था। जब किसानों के खाते में पैसे भेजने की तैयारी होने लगी तो तो पता चला कि 60 से अधिक किसानों ने पंजीकरण कराने के दौरान अपना खाता नंबर गलत फीड कराया है। इससे उनके खाते में पैसे का भुगतान नहीं हो पा रहा है। किसानों को कोई परेशानी हो, इसके लिए पीसीएफ जिला प्रबंधक ने केंद्र प्रभारियों को सख्त निर्देश दिया है कि उसे दुरुस्त कराकर तत्काल पैसा खाते में भिजवाएं। हालांकि कई किसानों के खाते में पैसा पहुंचने की भी जानकारी मिल रही है।
जिले भर के पीसीएफ के करीब 20 केंद्रों पर 6305 किसानों ने करीब दो लाख 13 हजार कुंतल धान का विक्रय किया था। इसमें करीब 5321 किसानों को धान विक्रय करने के एवज में 41 करोड़ 30 लाख रुपये का भुगतान हो चुका है, जबकि अभी भी एक करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान नहीं हो पाया है। इसकी वजह है कि जिले के करीब 60 से अधिक किसानों ने पंजीकरण कराने के दौरान अपना नाम व खाता नंबर गलत फीड कराया था। सहज जनसेवा केंद्र के संचालकों की लापरवाही से अब उनका भुगतान नहीं हो पा रहा है। भुगतान न होने पर जांच की गई तो पता चला कि किसी किसान का खाता नंबर गलत है तो किसी का नाम। किसानों को कोई परेशानी न झेलनी पड़े, इसके लिए पीसीएफ जिला प्रबंधक धीरेंद्र कुमार ने केंद्र प्रभारियों को सख्त निर्देश देकर इस त्रुटि को दूर कराकर भुगतान उनके खाते में कराने को कहा है। पीसीएफ जिला प्रबंधक ने बताया कि जो बचा है, उसका भी भुगतान जल्द ही करा दिया जाएगा।
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केंद्रों पर सन्नाटा
शासन के निर्देश पर जिले के केंद्रों पर 28 फरवरी तक धान की खरीद होनी है, लेकिन किसान अपना धान विक्रय कर चुके हैं। हालांकि खरीद की तिथि समाप्त होने में करीब 10 दिन शेष बचे हैं, लेकिन अब केंद्रों पर पूरे दिन सन्नाटा पसरा रहता है। अब ज्यादा जोर चावल के उतार पर है।