हर दिन नया पैगाम, पंछी का यही काम

हर चीज महंगी होती जा रही है। कोरोना ने अलग से सब सत्यानाश कर दिया है। ऐसे में अब 500 महीना कुछ नहीं है किसानों के लिए। जैसे विधायकों सांसदों के लिए हर छमाही-सालाना भत्ते बढ़ाए जाते हैं उसी प्रकार किसानों पर भी कृपा²ष्टि बनाइए दिल्ली वाले मुखिया..। क्योंकि किसान रहेगा- तभी हरियाली रहेगी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 10:59 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 10:59 PM (IST)
हर दिन नया पैगाम, पंछी का यही काम
हर दिन नया पैगाम, पंछी का यही काम

जासं, प्रतापगढ़ : हर चीज महंगी होती जा रही है। कोरोना ने अलग से सब सत्यानाश कर दिया है। ऐसे में अब 500 महीना कुछ नहीं है किसानों के लिए। जैसे विधायकों, सांसदों के लिए हर छमाही-सालाना भत्ते बढ़ाए जाते हैं, उसी प्रकार किसानों पर भी कृपा²ष्टि बनाइए दिल्ली वाले मुखिया..। क्योंकि किसान रहेगा- तभी हरियाली रहेगी।

यह किसी विपक्षी दल के नेता का तंज नहीं, पंछी का कटाक्ष है। वह किसी दल में नहीं हैं, लेकिन महंगाई और कोरोना का दलदल देखकर व्यथित हैं। वह हर दिन इंटरनेट मीडिया पर कुछ न कुछ ऐसा ही लिख रहे हैं, जिसमें आम आदमी की पीड़ा होती है, सरकार को सुझाव होता है और अनुरोध भी। शहर के पल्टन बाजार के ओम प्रकाश श्रीवास्तव पंछी सामाजिक व आरटीआइ कार्यकर्ता हैं। वह कोरोना के पहले दौर से लेकर अब तक लगातार मंथन कर रहे हैं, पढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मसलों को आम आदमी से जोड़कर लिख रहे हैं। अब तक वह 421 ऐसे ही लेख पूरे कोरोना काल में लिख चुके हैं। इसे काफी पसंद किया जा रहा है। कुछ लेखों को बानगी के तौर पर देखें तो 418वें व्यंग्य में वह लिखते हैं..कल मैं मुंबई के जुहू बीच पर सूर्यास्त के समय बैठा था, तभी किसी ने मुझे दूर से देखा, मेरे पास आया, बोला समुद्र के किनारे इतने तन्हा..। आखिर बात क्या है, किसी का इंतजार कर रहे हैं क्या, मैं बोला, हां..किसका, मैंने छोटा सा उत्तर दिया, तीसरी लहर का। वह बोला.ओह.. तो आप हिदुस्तान हैं। मुझे तो वह पहचान गया, लेकिन वो कौन था, मैं नहीं पहचान सका। कोरोना था या कि खुद भारत सरकार। इस्त्रायली हमले में आठ बच्चों समेत 42 की मौत पर क्या लिखूं, समझ में नहीं आ रहा। आज अगर विश्व में कहीं भी धर्म नाम की कोई भी चीज होती, धर्म के उपदेश होते तो जो आज हो रहा है वह न होता। आदमी के खून का प्यासा कोई भी आदमी न होता।यदि दुनिया के किसी भी कोने में धर्म होता तो भुखमरी न होती, गरीबी न होती, ये खून खराबा न होता।

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