204 रुपये में दिहाड़ी करने से मनरेगा मजदूरों ने खड़े किए हाथ
महंगाई के इस दौर में मनरेगा मजदूरों को काम करने पर 204 रुपये मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है। इतने कम रुपये में मनरेगा मजदूर काम करने को तैयार नहीं हो रहे हैं। इससे ग्राम पंचायतों में कार्य तेजी नहीं पकड़ पा रहा है। इसे लेकर प्रधान परेशान हैं। शासन द्वारा जाबकार्ड धारकों को मनरेगा में काम करने पर दिन भर में उन्हें 204 रुपये मजदूरी का भुगतान किया जाता है। वह भी काम करने के महीनों बाद उनके पारश्रमिक का भुगतान बैंक खाते में होता है।
संसू, संड़वा चंद्रिका : महंगाई के इस दौर में मनरेगा मजदूरों को काम करने पर 204 रुपये मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है। इतने कम रुपये में मनरेगा मजदूर काम करने को तैयार नहीं हो रहे हैं। इससे ग्राम पंचायतों में कार्य तेजी नहीं पकड़ पा रहा है। इसे लेकर प्रधान परेशान हैं। शासन द्वारा जाबकार्ड धारकों को मनरेगा में काम करने पर दिन भर में उन्हें 204 रुपये मजदूरी का भुगतान किया जाता है। वह भी काम करने के महीनों बाद उनके पारश्रमिक का भुगतान बैंक खाते में होता है। इसे निकालने के लिए उन्हें दिन भर बैंक में लाइन लगानी पड़ती है। जबकि गांव में दिहाड़ी करने पर मजदूरों को तीन सौ से लेकर साढ़े तीन सौ रुपये मजदूरी मिलती है। दिन भर काम करने के बाद शाम को उन्हें उनकी मजदूरी मिल जाती है। मनरेगा में महज 204 रुपए ही मिलने से जाबकार्ड धारक काम करने से मना कर दिए हैं। बझान के मजदूर जगदेव, रोहित, बुधना, शकुंतला व कोलबजरडीह के मजदूर अभिषेक, शिवकुमार, रामदुलार, सालिक राम, रबी, मनीषा, शुबरन आदि मजदूरों ने बताया कि दिन भर मेहनत करने के बाद महज 204 रुपये ही मजदूरी मिलती है। मंहगाई के इस दौर में 204 रुपये में परिवार का आटा- चावल, सब्जी व कपड़े दवा का खर्च पूरा नहीं होता है। जबकि बाहर काम करने पर साढ़े तीन सौ रुपये मिलते हैं। इन जाबकार्ड धारकों ने मनरेगा में काम करने से मना कर दिया है। यही हालत विकास खंड के अन्य ग्राम पंचायतों में भी है, जहां मजदूर मनरेगा में काम करने को तैयार नहीं हैं। इससे ग्राम पंचायतों में कार्य गति नहीं पकड़ पा रहा है। इन दिनों बीडीओ ने लगभग सभी ग्राम पंचायतों में लाखों रुपये का मिट्टी का कार्य कराए जाने की अनुमति दी है। मजदूरों के अभाव में कार्य नहीं हो पा रहा है। कोलबजरडीह के प्रधान अनीता बसंत सिह, बझान के प्रधान भीभ सिंह, जलालपुर के प्रधान स्वामी सिंह सहित दर्जनों प्रधानों ने बताया कि गांव में 204 रुपये पर मजदूर काम करने को तैयार नहीं हैं। इससे खेत समतलीकरण,कच्चा संपर्क मार्ग, बंधा निर्माण सहित अन्य मिट्टी के कार्य पिछड़ रहे हैं। बगैर कच्चा कार्य कराए पक्का कार्य कराने की अनुमति नहीं मिलेगी।
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संड़वा चंद्रिका विकास खंड में लगभग 11378 मजदूरों को जाबकार्ड जारी किया गया है। अधिकांश मजदूर महानगरों में मील कारखाने व अन्य व्यवसाय में लगे हैं। प्रधानों ने 204 रुपये में जाबकार्ड धारकों के मजदूरी न करने की शिकायत की है। इसे अधिकारियों को अवगत कराया गया है। रमेश कुमार, एपीओ संड़वा चंद्रिका