प्रभु राम ने किया रावण का वध, लगे जयकारे
असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक पर्व दशहरा जिले में रविवार को धूमधाम से मनाया गया। इस बार कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मेला भले ही नहीं लगा पर लोगों के उत्साह में कमी नहीं आई। उन्होंने घर से ही सही पर रावण के पुतले का दहन होने पर भगवान श्रीराम के जयकारे लगाए। बहुत से लोगों ने टीवी पर विभिन्न शहरों का दशहरा देखकर पर्व को यादगार बनाया।
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक पर्व दशहरा जिले में रविवार को धूमधाम से मनाया गया। इस बार कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मेला भले ही नहीं लगा, पर लोगों के उत्साह में कमी नहीं आई। उन्होंने घर से ही सही, पर रावण के पुतले का दहन होने पर भगवान श्रीराम के जयकारे लगाए। बहुत से लोगों ने टीवी पर विभिन्न शहरों का दशहरा देखकर पर्व को यादगार बनाया।
शहर के रामलीला मैदान में इस बार मेला नहीं लगा, फिर भी दो-तीन सौ लोग आ ही गए थे। बड़े से घेरे के बाहर वह खड़े रहे। उनकी आस्था देखकर पुलिस ने भी उनको नहीं हटाया। झूले वाले नहीं आए। काला जादू जैसे टेंट नहीं दिखे। हालांकि मेला न लगने से बच्चे मायूस हुए। शाम करीब पांच बजे गोपाल मंदिर से प्रभु राम और रावण रथ पर आए। उनकी सेना में युद्ध शुरू हुआ। इस बार सैनिक कम रखे गए थे। ऐसे में राम-रावण का आमना सामना सीधे हो गया तो दनादन तीन चलने लगे। रावण के अट्टहास से मैदान कंपित हो उठा। बार-बार प्रभु के तीर उसका सिर काटते पर वह फिर जी उठता। यह देख विभीषण ने प्रभु को कुछ बताया। इस पर प्रभु राम ने दशानन की नाभि में तीर मारा तो रावण गिर गया। काले रंग के कपड़े पहने उसके विशाल पुतले में पटाखों के धमाके इतने हुए कि पुतले की चीथड़े उड़ गए। पूरा मैदान जय श्री राम के उद्घोष से गूंज उठा। इसके बाद वहां मौजूद सदर विधायक राजकुमार पाल, नगर पालिका अध्यक्ष प्रेम लता सिंह, पूर्व विधायक हरि प्रताप सिंह, एडीएम शत्रोहन वैश्य, एएसपी सुरेंद्र प्रसाद, सीओ सिटी अभय पांडेय, राम लीला समित के संरक्षक जय नारायण अग्रवाल, रोशन लाल ऊमरवैश्य, अध्यक्ष श्याम शंकर सिंह, उपाध्यक्ष संजय खंडेलवाल, मंत्री विपिन गुप्ता, संयोजक दिनेश सिंह दिन्नू, संरक्षक अश्वनी सोनी आदि ने आरती उतारी। इसके बाद प्रसाद बांटा गया।
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आतिशबाजी से जगमगाया मैदान
इस बार दशहरे के मौके पर रावण वध की खुशी में एकल आतिशबाजी की गई। कोई प्रतियोगिता नहीं कराई गई, क्योंकि मेला न होने से उसे देखने को दर्शक नहीं थे। ऐसे में केवल अकरम ने अपने पटाखों की कला दिखाई। सतरंगी प्रकाश व धमाकों से मैदान सज गया। उनको कमेटी व अतिथियों ने पुरस्कार भी प्रदान किया।