मुंबई में रोजी-रोटी पर आया संकट तो गांव में ही शुरु किया रोजगार
कोरोना बीमारी के बढते प्रकोप से परदेशियों पर रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। शहरों में तेजी के साथ फैल रही महामारी से बचने के लिए लोग अपना व्यवसाय छोड कर गांव आ रहे हैं। यहां वह अपना खुद का नया व्यवसाय शुरु कर रहे हैं। उमरी निवासी रवि मिश्रा मुंबई के थाणे में रह कर हीरा तराशने का कार्य करते थे। पिछले वर्ष जब कोरोना महामारी फैली तो वह प्राइवेट टैक्सी बुक करके घर चले आए। यहां करीब छह महीने रहने के बाद वह फिर मुंबई लौटे तो उन्हें कोई रोजगार नहीं मिल रहा था। हीरे के बाजार में मंदी होने से उन्हें कंपनी ने काम पर नहीं लिया।
संवाद सूत्र, संडवा चंद्रिका : कोरोना बीमारी के बढते प्रकोप से परदेशियों पर रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। शहरों में तेजी के साथ फैल रही महामारी से बचने के लिए लोग अपना व्यवसाय छोड कर गांव आ रहे हैं। यहां वह अपना खुद का नया व्यवसाय शुरु कर रहे हैं। उमरी निवासी रवि मिश्रा मुंबई के थाणे में रह कर हीरा तराशने का कार्य करते थे। पिछले वर्ष जब कोरोना महामारी फैली तो वह प्राइवेट टैक्सी बुक करके घर चले आए। यहां करीब छह महीने रहने के बाद वह फिर मुंबई लौटे तो उन्हें कोई रोजगार नहीं मिल रहा था। हीरे के बाजार में मंदी होने से उन्हें कंपनी ने काम पर नहीं लिया। तब वह मुंबई के उपनगर गोरेगांव में एक धागे की कंपनी में काम करने लगे। वह बताते हैं कि किसी तरह गाडी पटरी पर आनी शुरु हुई तो वहां फिर महामारी फैलने लगी। महीनों कमरे पर बैठ कर खाया। रोटी का संकट हुआ तो किसी तरह भाग कर गांव चला आया। अब यहीं पर मोबाइल फोन के पार्ट्स बेचने की दुकान खोल ली। उन्होंने बताया कि अब मुंबई लौट कर उन्हें नहीं जाना है। गड़वारा के पूरे गरीबदास निवासी जगदीश यादव मुंबई में फल बेचने का कार्य करते हैं। उन्हें यह व्यवसाय विरासत में मिला है। पहले उनके दादा इस व्यवसाय को करते थे। उनके न रहने पर इन्होंने उसे संभाल लिया। वह बताते हैं कि उम्र का आधा पडाव मुंबई में ही बीता है। वहीं के पैसे से बच्चों की पढ़ाई व शादी-विवाह के साथ घर बनवाया। लेकिन पिछले डेढ साल से मुंबई अभिशाप हो गई है। कोरोना महामारी के चलते व्यवसाय ठप हो गया। किसी तरह वहां रह कर रोजी-रोटी चलाते थे, लेकिन अब तो वह भी मुश्किल हो गया है। इस महामारी से अगर किसी व्यवसाय की कमर टूटी है, तो सबसे पहले सब्जी व फल वालों को चोट पहुंची है। होली पर किसी तरह मुंबई से भाग कर घर आ गया। अब वहां जाने का मन नहीं हो रहा हैं। जीवन यापन के लिए यहीं पर कोई व्यवसाय करने की तैयारी की है। देखते हैं कि क्या किया जा सकता है।