यहां दशानन का पुतला भी समरसता की मिसाल
प्रतापगढ़ इस जिले के लोगों की समझदारी आपसी समरसता बेमिसाल है। इसे पर्व और ऊर्जा देते हैं
प्रतापगढ़ : इस जिले के लोगों की समझदारी, आपसी समरसता बेमिसाल है। इसे पर्व और ऊर्जा देते हैं। वैसे तो दशहरा केवल धर्म और आस्था का ही प्रतीक पर्व होता है, पर प्रतापगढ़ में इसके और भी आयाम हैं। यहां के रामलीला मैदान पर बना रावण का पुतला भी सामाजिक एकता की मिसाल बना है।
जिले में दशहरा का सबसे बड़ा मेला नगर के रामलीला मैदान में लगता है। वैसे तो यह मैदान सेना का है, लेकिन इसे राम के नाम से ही जाना जाता है। सेना ने जनभावना को देखते हुए इसे रामलीला समिति को लीज पर दिया है। इस पर बना रावण का पुतला कौमी एकता का संदेश देता है। इस पुतले का निर्माण पांच दशक पहले नगर के प्रमुख व्यवसायी पूरनमल ने करवाया था। सीमेंटेड पुतले की ऊंचाई करीब 20 फीट है। दशहरे पर पुतले में आतिशबाजी लगाने का कार्य पुश्तैनी रूप से नब्बन खां के परिवार के लोग करते आ रहे हैं। इस बार भी इस परंपरा को वह निभाने में जुटे हुए हैं। रावण के पुतले को तैयार कर रहे हैं। रामलीला समिति का उनसे करार है कि कोई मांग नहीं करेंगे। जो मेहनताना मिल जाएगा, प्रसाद समझकर रख लेंगे। यहां पर मेले के अंत में आतिशबाजी होती है। इस बार भी मुकाबला कराया जाएगा, जो श्रद्धालुओं के लिए देखने लायक होगा।
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हाइड्रोलिक मंच पर होगा युद्ध
दशहरे के लिए रामलीला मैदान सज रहा है। मैदान को व्यवस्थित किया जा रहा है। यहां पर झूले वाले आ गए हैं, वह अपनी व्यवस्था में जुट गए हैं। वैसे तो दशहरे पर जनपद में कई जगह मेला लगता है, लेकिन सबसे बड़ा दशहरे का मेला रामलीला मैदान में लगता है। यहां इस बार राम और रावण का युद्ध और भी भीषण होगा। वह करीब 50 फीट ऊंचे हाइड्रोलिक मंच पर तीर चलाएंगे।यह अनोखा मंचन लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा। इस आयोजन में जनप्रतिनिधियों और अफसरों के साथ ही आम श्रद्धालुओं का भारी संख्या में जमावड़ा होगा।