मेडिकल कालेज के नामकरण पर बिफरे पूर्व विधायक
प्रतापगढ़ अपना दल संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल के नाम पर प्रतापगढ़ मेडिकल कालेज का नामकरण
प्रतापगढ़ : अपना दल संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल के नाम पर प्रतापगढ़ मेडिकल कालेज का नामकरण सियासी खींचतान का सबब बन गया है। भाजपा नेता व पूर्व विधायक बृजेश मिश्र सौरभ ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। शनिवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जिले की महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में सामने आए मेडिकल कालेज के नाम स्व. सोनेलाल पटेल के नाम करना दुर्भाग्यपूर्ण व शर्मनाक है। अगर पिछड़े वर्ग के ही किसी व्यक्ति के नाम पर नामकरण करना ही था तो सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम कर देते, कोई आपत्ति नहीं होती।
भाजपा नेता ने पार्टी नेतृत्व को इस निर्णय के लिए आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य हैं, उन्हें भी इस निर्णय से पहले अवगत नहीं कराया गया। आखिर कब अपनादल नेता के आगे जिले का स्वाभिमान गिरवी रखा जाता रहेगा। वह यहां तक कह गए कि अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्व. सोनेलाल पटेल से इतना ही लगाव है तो प्रतिष्ठित सिद्ध गोरक्ष पीठ वह स्व. सोनेलाल पटेल के नाम पर कर दें। पूर्व विधायक का कहना था कि बाबा राम झुंगुरी सिंह, बाबा रामचंदर, राजा रामपाल सिंह जैसे क्रांतिकारी जिले से थे। राजा दिनेश सिंह, अजीत प्रताप सिंह, पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय व राम किकर जैसे दिग्गज राजनीतिक और स्वामी करपात्री महाराज, जगदगुरु कृपालु महाराज जैसे धर्म के सच्चे ध्वजवाहक निकले, वहां उनका नाम भूलना दुखद है। उन्होंने कहा कि पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को ट्वीट कर विरोध जता दिया है। उनसे प्रतापगढ़ की जनता की भावनाओं का ख्याल रखने का अनुरोध किया है। बृजेश मिश्र ने कहा कि अगर जिले के बाहर के ही किसी व्यक्ति का नाम रखना था तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी अथवा अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रख देते। प्रतापगढ़ रही है सोनेलाल की कर्मस्थली: अनुप्रिया
अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि प्रतापगढ़ डा. सोनेलाल पटेल की कर्मस्थली रही है। वहा ऐसा कोई विरला ही गाव हो, जहा के वंचित समाज के बीच वह न गए हों। अपने जीवन के अंतिम समय तक उन्होंने प्रतापगढ़ के गरीब, वंचित वर्ग को उनका हक दिलाने के लिए संघर्ष किए हैं। डाक्टर साहब के संघर्ष का ही प्रतिफल है कि आज वहा का वंचित वर्ग, दलित-पिछड़ा भी गर्व से सिर उठाकर चलने लगा है।