बांस की खेती से आत्मनिर्भर बन रहे किसान

जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन ने जनपद में बड़े पैमाने पर बांस की खेती कराने का निर्णय लिया। जो अब सफल साबित हो रहा है। बांस की खेती से एक ओर जहां किसानों की आय में वृद्धि हो रही है वहीं दूसरी ओर जलवायु को सु²ढ़ बनाने और पर्यावरण संरक्षण में भी अहम योगदान मिल रहा है। बांस की खेती से बंजर जमीन उपजाऊ हो रहा है। खासकर भूमिहीन छोटे किसान और महिलाएं आजीविका से जुड़ रही हैं। मनरेगा विभाग के प्रयास से ही यह संभव हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Jan 2021 04:59 PM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 04:59 PM (IST)
बांस की खेती से आत्मनिर्भर  बन रहे किसान
बांस की खेती से आत्मनिर्भर बन रहे किसान

प्रतापगढ़ : जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन ने जनपद में बड़े पैमाने पर बांस की खेती कराने का निर्णय लिया। जो अब सफल साबित हो रहा है। बांस की खेती से एक ओर जहां किसानों की आय में वृद्धि हो रही है, वहीं दूसरी ओर जलवायु को सु²ढ़ बनाने और पर्यावरण संरक्षण में भी अहम योगदान मिल रहा है। बांस की खेती से बंजर जमीन उपजाऊ हो रहा है। खासकर भूमिहीन, छोटे किसान और महिलाएं आजीविका से जुड़ रही हैं। मनरेगा विभाग के प्रयास से ही यह संभव हुआ।

मनरेगा विभाग से इसकी कार्ययोजना तैयार हुई थी। इसका नतीजा यह रहा कि जिले में कई जगहों पर व्यापक स्तर पर बांस की खेती हो रही है। मनरेगा विभाग का प्रयोग कारगर साबित हो रहा है। जनपद के लालगंज, सदर, संडवा चंद्रिका और बाबा बेलखरनाथ धाम ब्लाक की कई ग्राम पंचायतों में बड़े पैमाने पर बांस की खेती हो रही है। यह खेती खासकर नदी के किनारे के खेतों में अधिक हो रही है। इससे जहां जमीन खाली होने से बेकार हो रही थी, वहीं अब बांस की खेती से आय का जरिया बन गया। सई नदी के तट वाले इलाकों में बांस की खेती कराने का प्रयास काफी सफल हुआ। इसके पीछे जिला प्रशासन का मकसद है कि बंजर जमीन उपजाऊ हो। किसानों व गरीब लोगों को आजीविका मिले। खास बात यह है कि इससे पानी व मिट्टी की बचत हो। इसके लिए कुंडा, लक्ष्मणपुर, संडवा चंद्रिका व मानधाता सहित अन्य कुछ ब्लाकों को चिह्नित किया गया था। ऐसी ग्राम पंचायतों में बांस की खेती शुरू की गई, जो नदी के किनारे के गांव हैं। गांवों में तैयार होने वाले बांस से लोग सीढ़ी, फर्नीचर, झाबे आदि बना रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्र सुखपाल नगर के कई उद्यमी इसका अचार भी बना रहे हैं। जो खाने में इस्तेमाल हो रहा है। इस बार बांस की पैदावार काफी अच्छी हुई है। कई किसान तो इसे महंगे दाम पर खेत से ही बेच दे रहे हैं। उपायुक्त मनरेगा अजय कुमार पांडेय ने बताया कि बांस की खेती करने से लोगों की अच्छी आय हो रही है। लोग आजीविका से भी जुड़ रहे हैं।

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