अधिकांश बच्चों के हाथों में पहुंच चुकी हैं अंग्रेजी की किताबें
प्रतापगढ़ जिले के अधिकांश बच्चों के हाथ में कक्षा 10 व 12 की अंग्रेजी की किताबें पहुंच गई
प्रतापगढ़ : जिले के अधिकांश बच्चों के हाथ में कक्षा 10 व 12 की अंग्रेजी की किताबें पहुंच गई हैं। जब बोर्ड की अधिकृत किताबें आएंगी तो अभिभावकों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यह नीति ठीक नहीं है। समय रहते अधिकृत किताबें बाजार में आ जानी चाहिए थीं। यह कहना है जिले के अभिभावकों का।
यूपी बोर्ड की 10 वीं एवं 12 वीं कक्षा में अंग्रेजी विषय की किताबें इस साल बदली जानी हैं। इसके लिए अभी बोर्ड ने प्रकाशक तय नहीं किए हैं। इसके बावजूद मार्केट में किताबें पिछले तीन माह से ही उपलब्ध हो गई हैं। अधिकतर अभिभावक इन अंग्रेजी की किताबों को खरीद भी चुके हैं। इस खबर को जब दैनिक जागरण ने शुक्रवार के अंक में प्रकाशित किया तो शिक्षा विभाग के साथ ही पुस्तक विक्रेताओं व प्रकाशकों में खलबली मच गई। अब यह किताब प्रकाशकों और अभिभावकों के लिए गले की हड्डी बन गई है। जब जागरण ने पड़ताल की तो यूपी बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ला ने स्पष्ट किया कि अभी तो प्रकाशक ही तय ही नहीं किए गए, तो किताबें मार्केट में कैसे आ गईं। शिक्षा विभाग के आलाधिकारी अपने बयान पर काबिज हैं। फजीहत तो उन हजारों अभिभावकों की है जो यह किताबें खरीद चुके हैं। देखना अब यह है कि शिक्षा विभाग वहीं किताबें चलाता है जो मार्केट में हैं या इसके इतर अन्य प्रकाशकों की किताबों को हरी झंडी देता है। यदि वहीं किताबें चलाई जाती हैं तो ठीक, अन्यथा उन तमाम बच्चों को दोबारा किताबें खरीदनी होंगी और अभिभावकों को फिर से किताब खरीदने के लिए पैसे का इंतजाम करना होगा। इनमें तमाम अभिभावक किसी तरह अपने परिवार का खर्च चलाते हैं, ऐसे में उनकी परेशानी का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रकाशक और पुस्तक विक्रेताओं ने गठजोड़ करके पैसा बना लिया, इसमें सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। इस संबंध में कुछ पुस्तक विक्रेताओं से बात की तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुस्तकें आ गई हैं और बच्चे व उनके अभिभावक खरीद भी रहे हैं। इन्हीं प्रकाशकों की पुस्तकें पिछले वर्ष कक्षा नौ व 11 में चलाई गई थीं।
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फोटो- 19 पीआरटी-12
जब पाठ्क्रम बदलना ही था तो किताबें पहले तय की जानी थीं। अप्रैल से नया सत्र शुरू है। बच्चे किताब ले चुके हैं तो अब शिक्षा विभाग यह बता रहा है कि प्रकाशक तय नहीं है, यह ठीक नहीं है। शिक्षा विभाग दोषी है।
-अश्वनी पाल, भगेसरा
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फोटो- 19 पीआरटी-13
हाईस्कूल व इंटर की अंग्रेजी की किताबें पिछले तीन माह से मार्केट में आ गई हैं। हम इसे ले भी चुके हैं। अब यदि किताबें बदली जाती हैं तो सीधा असर अभिभावकों पड़ेगा। उन्हें दुबार किताब लेनी पड़ेगी। सरकार क्या कर रही है।
-गायत्री त्रिपाठी, पिरथीगंज
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किताबों के प्रकाशक तय करना शिक्षा विभाग का काम है। ऐसा समय से किया जाना चहिए। अप्रैल से नया सत्र शुरू है। इस समय जून का महीना चल रहा है और अभी तक प्रकाशक तय न करना समझ से परे है।
-शेष कुमारी, खरहर
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फोटो- 19 पीआरटी-15
मार्केट में किताबें पहले आ गईं, यह तो नई बात सुनने में आई। जब पिछले साल कक्षा नौ व 11 में एनसीईआरटी की किताबें चलीं थीं तो उसी तर्ज पर 10 वीं च 12 वीं में भी होना है।बच्चे किताब ले चुके हैं।
-संदीप उपाध्याय, औवार