अंतिम सोमवार पर शिवालयों में भक्तों में दिखी आस्था की हिलोर

अधिमास में हर दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला होता है पर सोमवार विशेष होता है। अधिमास के अंतिम सोमवार को मंदिरों में दिखी आस्था की लहर भक्तों के उत्साह व आस्था को व्यक्त करने वाली रही।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Oct 2020 11:14 PM (IST) Updated:Tue, 13 Oct 2020 05:06 AM (IST)
अंतिम सोमवार पर शिवालयों में भक्तों में दिखी आस्था की हिलोर
अंतिम सोमवार पर शिवालयों में भक्तों में दिखी आस्था की हिलोर

प्रतापगढ़। अधिमास में हर दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला होता है, पर सोमवार विशेष होता है। अधिमास के अंतिम सोमवार को मंदिरों में दिखी आस्था की लहर भक्तों के उत्साह व आस्था को व्यक्त करने वाली रही। जिले के सभी शिवालयों में भक्त पहुंचे। बाबा का जलाभिषेक किया। द

दीवानगंज प्रतिनिधि ने बताया कि अंतिम सोमवार होने से बाबा बेलखर नाथ धाम में दर्शन-पूजन और जलाभिषेक के लिए भोर से ही श्रद्धालु उमड़ पड़े। कोरोना का खौफ वह भूलकर बाबा की शरण में आए। धाम स्थित राधा कृष्ण मंदिर से लेकर बाबा बेलखरनाथ मुख्य मंदिर तक कतार में खड़े होकर भक्त बेल पत्र,अक्षत, पुष्प, दूध, समी पत्र, गंगा जल, मंदार, धूप, अगरबत्ती से पूजन किया। कई भक्तों द्वारा भंडारे का आयोजन किया गया था। भीड़ की संभावना पर एसआइ अमित मिश्र फोर्स के साथ सतक्र रहे। सेवा समिति के शीतला प्रसाद सिंह उर्फ मदन सिंह, लाल बिहारी ओझा, नरेंद्र प्रसाद ओझा, रमा नाथ सिंह, छवि नाथ सिंह व पप्पू गिरि सहयोग में रहे।

घुइसरनाथ धाम प्रतिनिधि ने बताया कि धाम में सोमवार को अलग ही नजारा रहा। लोग कोरोना की गाइडलाइन को बहुत दूर छोड़कर दर्शन व पूजन में जुटे रहे। मेला भी कुछ लगा। भोर में मंदिर का कपाट खुलते ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। क्षेत्र से लोग सुबह से ही आना शुरू कर दिए और बाबा भोले नाथ का दर्शन पाकर आनंदित हो गए। कुंडा के हौदेश्वरनाथ धाम में भी श्रद्धालु पहुंचे। गंगा में स्नान भी किया। दर्शन के लिए कतार में खड़े होकर जयकारे लगाते रहे।

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दस गुना फलदायक सोमवार

सोमवार का दिन भगवान शिव को बहुत प्रिय होता है। वह भी सावन व अधिमास के सोमवार में तो भोले अति प्रसन्न होते हैं। आचार्य आलोक मिश्र बताते हैं कि सोमवार को जलाभिषेक व पूजन सामान्य दिनों से 10 गुना फल देता है। ऐसा शिव पुराण में कहा गया है। इसी कारण जो लोग पूरे मास व्रत या पूजन नहीं कर पाते वह सोमवार-सोमवार व्रत करके पुण्य प्राप्त कर लेते हैं।

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परम एकादशी व्रत आज

अधिमास में एकादशी का भी विशेष महत्व होता है। इस बार इस महीने की आखिरी एकादशी 13 अक्टूबर को है। इसे परम एकादशी के नाम से जाना जाता है। धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडेय अनिरुद्ध रामानुजदास बताते हैं कि अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि को परम एकादशी कहते हैं। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। यह व्रत सहज ही मनोकामनाएं पूरी करने वाला होता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। पीले कपड़े धारण करके भगवान नारायण का पूजन करें। तुलसी जरूर चढ़ाएं।

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