सड़ गए दिव्यांग जयकरन के पैर, परिवार भुखमरी का शिकार

स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावों को तार-तार करने के लिए अपाहिज जयकरन के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार का उदाहरण ही काफी है। पैर से अपाहिज हो चले अधेड़ की आज कोई भी डाक्टर इलाज करने को तैयार नहीं है। इसके चलते वह दर-दर भटकने को मजबूर हो चला है। यही नहीं उसका दस वर्ष का बेटा पढ़ाई की जगह सब्जी की दुकान पर मजदूरी करने को मजबूर है। वहीं उसकी पत्नी भीख मांग कर कुनबे का पालन-पोषण कर रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 11:16 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 11:16 PM (IST)
सड़ गए दिव्यांग जयकरन के पैर, परिवार भुखमरी का शिकार
सड़ गए दिव्यांग जयकरन के पैर, परिवार भुखमरी का शिकार

संसू, परियावां : स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावों को तार-तार करने के लिए दिव्यांग जयकरन के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार का उदाहरण ही काफी है। पैर से दिव्यांग हो चले अधेड़ की आज कोई भी डाक्टर इलाज करने को तैयार नहीं है। इसके चलते वह दर-दर भटकने को मजबूर हो चला है। यही नहीं उसका दस वर्ष का बेटा पढ़ाई की जगह सब्जी की दुकान पर मजदूरी करने को मजबूर है। वहीं उसकी पत्नी भीख मांग कर कुनबे का पालन-पोषण कर रही है।

विकास खंड कालाकांकर के पाइकगंज परियावां निवासी जयकरन सोनकर पुत्र श्यामलाल आम बेचने के साथ ही सब्जियों का कारोबार करके परिवार का जीविकोपार्जन करता था। बीते पांच वर्ष पूर्व फल तोड़ते समय पेड़ से गिर गया इससे उसका पैर टूट गया। काफी इलाज के बाद पैर सही हो गया, लेकिन एक वर्ष पूर्व उसी पैर में दोबारा चोट लग गई। इलाज के दौरान उस पैर में सड़न शुरू हो गई और देखते ही देखते ही दोनों पैर कट गए। उधर, परिवार में कोई कमाने वाला न होने के कारण पैसे का अभाव हो गया। पैसा न होने के कारण चिकित्सकों ने इलाज से हाथ खड़े कर दिए। उसका इलाज करने को कोई भी डाक्टर तैयार नहीं हुए। इसके चलते उसके पैर का संक्रमण बढ़ता गया और हालात यह हो गये कि उसका पैर कट-कट कर गिर रहा है। दुर्गंध से आज उसके पास कोई जाना नहीं चाहता। उसकी देख रेख करने को उसकी पत्नी सुषमा देवी रहती है। वह भी पास पड़ोस की बाजार से भीख मांकर अपने परिवार का खर्चा चलाती है। वहीं उसका दस वर्षीय बेटा सुमित सेानकर प्राथमिक विद्यालय परियावां में कक्षा पांच का छात्र है। परिवार की हालत बेहद चिताजनक होने के चलते वह भी एक सब्जी की दुकान पर प्रतिदिन 40 रूपये में मजदूरी करता है। आज उसकी हालत पर तरस आता है, लेकिन उसकी मदद करने वाला कोई नहीं है। इलाज के लिए उसके पास आज एक फूटी कौड़ी भी नहीं है। इसके चलते वह इलाज नहीं करा पा रहा है। यदि जल्द ही जयकरन का इलाज न कराया गया तो वह जल्द ही काल के गाल में समा सकता है और एक मासूम के सर से पिता का साया हट सकता है।

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नहीं बढ़ रहे जनप्रतिनिधियों व समाजसेवियों के हाथ

संसू, परियावां : जयकरण की इस दयनीय स्थिति के बारे में स्थानीय लोगों को सब कुछ मालूम है, लेकिन किसी ने सहायता के लिए हाथ नहीं बढ़ाया। क्षेत्र के तमाम समाजसेवी जयकरन की स्थिति को जानते हैं, लेकिन वह उसकी दुर्दशा की ओर कभी ध्यान नहीं दिए। यदि जनप्रतिनिधि या ग्राम प्रधान जयकरण की स्थिति पर थोड़ा भी ध्यान देते तो उसकी पत्नी को भीख मांग कर काम ना चलाना पड़ता।

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जयकरन के इलाज से दूर भागते हैं डॉक्टर

संसू, परियावां : जयकरन अपने पैर के इलाज के लिए 28 फरवरी 2020 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कुसुवापुर गया। वहां वह डॉक्टर से मिला लेकिन इलाज से मना कर दिया। इसके बाद वह 14 मार्च 2020 को कालाकांकर सीएचसी पर गया। वहां उसकी हालत को देखने के बाद भी डॉक्टरों ने उसका इलाज नहीं किया।

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.संसाधन का रोना रोने पर मजबूर सीएचसी प्रभारी

कालाकांकर सीएचसी प्रभारी मनोज वर्मा का कहना है कि उनके यहां इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में जयकरन अगर उनके पास आए रहे होंगे, तो उन्होंने जिला अस्पताल जाने के लिए कहा होगा।

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