सिस्टम से हारीं, अब कोर्ट का सहारा

एक महिला के साथ पहले नशे में धुत सिपाही ने बदसलूकी की। महिला की इज्जत बचाने के लिए परिवार के लोगों ने सिपाहियों को सबक सिखाया लेकिन इसका खामियाजा यह रहा कि पति सहित चार लोगों को जेल जाना पड़ा। अपने ऊपर हुए हमले का मुकदमा तो पुलिस ने दर्ज कर लिया लेकिन उस महिला का मुकदमा नहीं लिखा जिसने अपमान का घूंट सहा। पुलिसिया सिस्टम में कोई सुनवाई नहीं हुई। अब पीड़ित महिला को कोर्ट से ही उम्मीदें हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 10:52 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 10:52 PM (IST)
सिस्टम से हारीं, अब कोर्ट का सहारा
सिस्टम से हारीं, अब कोर्ट का सहारा

संवाद सूत्र, प्रतापगढ़/कोहंडौर : एक महिला के साथ पहले नशे में धुत सिपाही ने बदसलूकी की। महिला की इज्जत बचाने के लिए परिवार के लोगों ने सिपाहियों को सबक सिखाया, लेकिन इसका खामियाजा यह रहा कि पति सहित चार लोगों को जेल जाना पड़ा। अपने ऊपर हुए हमले का मुकदमा तो पुलिस ने दर्ज कर लिया, लेकिन उस महिला का मुकदमा नहीं लिखा, जिसने अपमान का घूंट सहा। पुलिसिया सिस्टम में कोई सुनवाई नहीं हुई। अब पीड़ित महिला को कोर्ट से ही उम्मीदें हैं।

कोहंड़ौर थाना क्षेत्र के अतरसंड गांव निवासी रमेश तिवारी ने कोहंडौर-पट्टी मार्ग के किनारे मकान बना रखा है। उनकी पत्नी अर्चना तिवारी बेटी निशा (17) व रीनू (10), बेटा आर्यन (12) के साथ 10 फरवरी की रात घर में थी। आरोप है कि तभी नशे में धुत सिपाही रवि व राहुल पहुंचे और बेसमेंट की तलाशी लेने की बात कहते हुए घर में घुसने लगे। अर्चना ने किसी पुरुष सदस्य के न होने की बात कहकर रोकने की कोशिश की तो सिपाहियों ने उनके साथ बदसलूकी की। सिपाहियों की हरकत देख बेटी निशा ने पिता को फोन कर दिया। शोर मचाते हुए रमेश तिवारी गांव वालों के साथ दौड़ पड़े और सिपाहियों की जमकर पिटाई की। बाद में भारी तादाद में पहुंची पुलिस ने जमकर तांडव किया और रमेश तिवारी. संजय तिवारी. विनोद यादव, मनोज गुप्ता उर्फ राहुल को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। सिपाही की तहरीर पर पुलिस रमेश तिवारी. उनके भाई कैलाश, प्रदीप व सुरेश, मनोज गुप्ता उर्फ राहुल, विनोद यादव, संजय तिवारी. अजय सिंह, मृदुनी यादव,कैलाश तिवारी,नन्हके यादव,रामकृष्ण यादव,प्रदीप तिवारी,सुरेश तिवारी,अनिल यादव सहित 22 लोगों पर मुकदमा दर्ज कर लिया।

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एकतरफा कार्रवाई, पीड़िता को कैसे मिले न्याय

सिपाही पर हमले का मुकदमा तो पुलिस ने दर्ज कर लिया। वहीं दूसरी ओर अर्चना तिवारी के साथ हुई बदसलूकी का न पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और न ही सिपाहियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की। सिपाही को बचाने के लिए पुलिस ने इसका मेडिकल ही नहीं कराया कि दोनों सिपाहियों ने शराब पी थी कि नहीं। सिर्फ सिपाही की चोटों का मेडिकल कराया। यही नहीं, एसपी ने पूरे प्रकरण की जांच के लिए कमेटी बनाते हुए तीन दिन में रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन 19 दिन बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हो सकी।

पीड़ित अर्चना पुलिस के डर के कारण भागी-भागी फिर रही हैं। उन्होंने हर जनप्रतिनिधि की चौखट को खटखटाया, लेकिन कहीं उनकी सुनवाई नहीं हुई। उनसे कोई उनके और परिवार के साथ हुई घटना के बारे में पूछता है तो कहती हैं कि जानकर क्या कर लेंगे। मदद तो कर पाएंगे नहीं, उपहास जरूर उड़ाएंगे। पुलिस के डर से रमेश तिवारी के भाई कैलाश, प्रदीप, सुरेश और अजय सिंह पुत्र ललन सिंह, नन्हके यादव पुत्र भूटानी घटना के बाद से फरार हैं।

प्रदीप तिवारी की पत्नी अनीता देवी कहने लगी कि पुलिस के तांडव के बाद डर की वजह से उनके पति घर नहीं आ रहे हैं। कैलाश की पत्नी कुसुम तिवारी ने बताया कि जिस दिन यह घटना हुई थी। उस दिन उनके पति अपनी बहन के घर भांजे के जन्मोत्सव में शामिल होने गए थे।सुरेश की पत्नी मंजुला देवी ने बताया कि घटना के दिन उनके पति मौके पर गए भी नहीं थे। फिर पुलिस ने उनके घर में तांडव किया। उनके पति को बिना वजह फंसा दिया। सीओ सिटी अभय कुमार पांडेय का कहना है कि इस मामले में गंभीरता से जांच की जा रही है। इसमें दोनों पक्षों के साथ न्याय होगा।

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इन सवालों का जवाब चाहिए

1. सिपाही पीड़ित महिला के घर किसकी तलाश में गए थे? क्या उनके पास सर्च वारंट था।

2. रात में किसी के घर में जांच के लिए जाते समय किसी महिला सिपाही को साथ क्यों नहीं लिया।

3. वायरल वीडियो में एक सिपाही कह रहा है कि उसने अपने वेतन के पैसों की शराब पी है, तो फिर पुलिस अधिकारियों ने उस सिपाही का टेस्ट क्यों नहीं कराया।

4. सिपाहियों की तरफ से पीड़ित परिवार वालों के खिलाफ रिपोर्ट लिखकर चार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। पीड़ित महिला की तरफ से पुलिस ने रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज की।

5. इस प्रकरण की जांच के लिए एएसपी सहित तीन सदस्यीय टीम को पांच दिन में रिपोर्ट देनी थी, मगर अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आई।

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