दुग्ध समितियों को नहीं मिले 45 लाख, भुखमरी की कगार पर

इन दिनों दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ कठिन दौर से गुजर रहा है। इसका सीधा असर दूध मुहैया कराने वाले लोगों पर पड़ रहा है। संघ द्वारा दूध मुहैया कराने के बाद भी पैसे का भुगतान न किए जाने से करीब 45 लाख रुपये अभी तक नहीं मिला। यह पैसा फरवरी माह से बकाया है। भुगतान किए जाने को लेकर संचालक कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। इसके बाद भी भुगतान नहीं हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 10:25 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 10:25 PM (IST)
दुग्ध समितियों को नहीं मिले 45 लाख,  भुखमरी की कगार पर
दुग्ध समितियों को नहीं मिले 45 लाख, भुखमरी की कगार पर

संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : इन दिनों दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ कठिन दौर से गुजर रहा है। इसका सीधा असर दूध मुहैया कराने वाले लोगों पर पड़ रहा है। संघ द्वारा दूध मुहैया कराने के बाद भी पैसे का भुगतान न किए जाने से करीब 45 लाख रुपये अभी तक नहीं मिला। यह पैसा फरवरी माह से बकाया है। भुगतान किए जाने को लेकर संचालक कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। इसके बाद भी भुगतान नहीं हो रहा है।

सदर ब्लाक क्षेत्र के कटरा मेदनीगंज में दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ है। यह पांच हजार लीटर दूध की क्षमता का प्लांट है। जब संघ की स्थापना हुई तो शहर व अंचल से मिलाकर करीब 450 से अधिक समितियां यहां से जुड़ी। करीब साढ़े चार से साढ़े पांच हजार लीटर दूध कलेक्ट होता था। काफी दिनों तक दूध देने के एवज में हर हफ्ते संचालकों को पैसा मिल जाता था, लेकिन धीरे-धीरे करके गांव में दूध मुहैया कराने वाली समितियों को संस्था की ओर से पैसा दिए जाने में लापरवाही बरती जाने लगी। एक ओर जहां प्रतिदिन दो से तीन हजार रुपये का दूध संस्था को मिलता है, वहीं पैसे का भुगतान एक तिहाई ही हो पाता था। उसमें भी महीनों का समय लग रहा है। यही वजह है कि समय से पैसा न मिलने से काफी जगहों से दूध आना बंद हो गया। अब केवल एक से डेढ़ हजार लीटर दूध ही मिल पा रहा है।

इन दिनों पूरे जिले से केवल दो दर्जन समितियों से ही दूध आ रहा है। समितियों का दूध के एवज में मिलने वाला पैसा करीब फरवरी माह के बाद से पूरा नहीं मिला। ऐसे में समितियों का करीब 45 लाख रुपये विभाग में फंसा है। भुगतान कब होगा, यह अफसर नहीं बता पा रहे हैं। समिति का संचालन कर रहे सदर क्षेत्र के शीतला प्रसाद यादव, आसपुर देवसरा के बृजेश सिंह आदि का कहना है कि हम लोग समिति को क्वालिटीयुक्त दूध उपलब्ध कराते हैं, लेकिन यहां से भुगतान समय से नहीं होता है। दूध व ट्रांसपोर्ट खर्च मिलाकर करीब 45 लाख रुपये बकाया है। अगर जल्द दूध के बकाए का भुगतान न किया गया तो हम लोग दूध देना बंद कर देंगे।

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100 रुपये के दूध पर ढाई रुपये कमीशन

दुग्ध समितियों को 100 रुपये का दूध देने के पीछे उनको ढाई रुपये कमीशन मिलता है। उसमें भी कमीशन के पैसे के लिए उनको कई माह चक्कर लगाना पड़ता है। यही वजह है कि समय से पैसा न मिलने के चलते समिति संचालकों का दूध देना कम कर दिए हैं। कमीशन के पैसे में ही पेपर रोल, केमिकल आदि का भी इंतजाम करना पड़ता है।

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दुग्ध समितियों का लाखों रुपये बकाया है। उसे कुछ पार्ट में देने की तैयारी चल रही है। कोरोना की वजह से भी व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। पूरा प्रयास है कि जल्द समितियों का भुगतान कर दिया जाएगा।

- राम चरन, जीएम (दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ प्रयागराज)

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