बेल्हा के अमृत फल को मुकाम पर पहुंचाने में रोड़ा बने एजेंट
प्रतापगढ़ जिले की पहचान आंवले से है। बेल्हा के अमृत फल को मुकाम तक पहुंचाने में एजेंट र
प्रतापगढ़ : जिले की पहचान आंवले से है। बेल्हा के अमृत फल को मुकाम तक पहुंचाने में एजेंट रोड़ा बने हुए हैं। राजस्थान में आंवला लेने के बाद तत्काल भुगतान कर दे रहे हैं, जबकि यहां पर उधार करने से आंवला कारोबारी संकट में हैं। पूरा दाम न मिलने से कारोबारी संकट से गुजर रहे हैं। पूरा पैसा देने का दबाव बनाने से एजेंट आंवला लेने से हाथ खड़े कर दे रहे हैं। आंवला बर्बाद न हो, इसके लिए कारोबारी मजबूरी में क्रेडिट पर ही आंवला दे रहे हैं।
जिले में 10 हजार हेक्टेअर में आंवले की खेती होती है। इसमें चकला, लक्ष्मी-52, पागेंद्र-7, एन-7, बनारसी, एन-10, फ्रांसी सहित दर्जन भर किस्म का आंवला होता है। इसमें सबसे अधिक टिकाऊ चकला, एन-7 व लक्ष्मी-52 होता है। यह आंवला सुंदर होने के साथ उत्पाद भी बेहतर तैयार होता है। जिले में पैदा होने वाले की अधिक डिमांड हरिद्वार की कंपनियों की रहती है। आंवला तैयार होने के कुछ दिन पहले ही कंपनियों के एजेंट जिले में आ जाते हैं। किसान अपना आंवला कारोबारियों के हाथ बेचता है, लेकिन एजेंट अपने हिसाब से उसे खरीदते हैं। पिछले साल तो एजेंटों की मनमानी से आंवला किसानों व कारोबारियों को अधिक नुकसान हुआ था।
इस बार भी एजेंट मनमानी पर उतारू हैं।आंवले का उचित मूल्य न देने से कारोबार पर फर्क पड़ा हैं। वहीं क्रेडिट पर आंवला लेने से और नुकसान हो रहा है। शहर के महुली निवासी आंवला कारोबारी अत्येंद्र सिंह, बैजलपुर के मोहित सिंह, राजू जायसवाल व शीतला प्रसाद बताते हैं कि एजेंट राजस्थान का आंवला लेने के दौरान पूरा भुगतान कर रहे हैं, लेकिन यहां पर काफी उधार कर दे रहे हैं। दबाव बनाने पर वह आंवला लेने से मना कर देते हैं। आंवला बेकार न हो जाए, इसके लिए मजबूरी में उनको उधार देना पड़ रहा है।
---
यह है आंवले का दाम-
चकला : 15 रुपये किलो
लक्ष्मी - 52 : 18 से 20 रुपये किलो
नागेंद्र-7 : 17 से 18 रुपये
फ्रांसी : आठ रुपये किलो
एन-10 : 12 रुपये किलो
बनारसी : सात से आठ रुपये
एन-7 : 12 से 14 रुपये किलो