नवाबगंज में दर्जन भर कौवे मरे मिले, दहशत

जिले के कुंडा तहसील क्षेत्र के नवाबगंज के ब्रह्मौली में दर्जन भर कौवे मरे मिले। वहीं कंधई के शिवसत में भी दौ कौवों की मौत हो गई। इससे दहशत फैल गई। हालांकि जांच में इनमें बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं हुई। पशुचिकत्सकों की जांच में कौवों की मौत कोल्ड शाक से होना पाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 10:29 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 10:29 PM (IST)
नवाबगंज में दर्जन भर कौवे मरे मिले, दहशत
नवाबगंज में दर्जन भर कौवे मरे मिले, दहशत

संसू, प्रतापगढ़ : जिले के कुंडा तहसील क्षेत्र के नवाबगंज के ब्रह्मौली में दर्जन भर कौवे मरे मिले। वहीं कंधई के शिवसत में भी दौ कौवों की मौत हो गई। इससे दहशत फैल गई। हालांकि जांच में इनमें बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं हुई। पशुचिकत्सकों की जांच में कौवों की मौत कोल्ड शाक से होना पाया गया।

परियावां प्रतिनिधि के अनुसार नवाबगंज थाना क्षेत्र के ब्रहमौली चौराहा पर शुक्रवार की सुबह अचानक 100 मीटर के दायरे में दर्जन भर से अधिक कौवों की मौत से लोगों में दहशत फैल गई। लोगों में इस बात की चर्चा शुरू हो गई कि कहीं क्षेत्र में बर्ड फ्लू तो नहीं पहुंच गया। घटना की सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस व पशु चिकित्सक व वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंच कर जांच पड़ताल की। जांच पड़ताल के दौरान पशु चिकित्सक कालाकांकर ओम प्रकाश यादव ने बताया कि वार्ड फ्लू होने वाले पक्षियों के नाक से झाग आ जाता है, लेकिन मृत पड़े कौवों में ऐसा कोई लक्षण नहीं मिला। ऐसे में इन कौवों की मौत ठंड से हुई है। इसके पश्चात मरे हुए कौवे को पास ही खाली पड़ी जमीन में दफना दिया गया। चिकित्सकों ने भले ही बर्ड फ्लू की आशंका को खारिज कर दिया। वहीं क्षेत्र के लोगों में इस बात को लेकर दहशत का माहौल बना हुआ है। इस दौरान पशु चिकित्सक के साथ वन विभाग के वन दरोगा भैया राम पांडेय भी रहे। इसी प्रकार कंधई थाना क्षेत्र के शिवसत में शुक्रवार को दो कौवों की मौत हो गई। सूचना मिलने पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विजय प्रताप सिंह ने पशुपालन विभाग की टीम भेज कर जांच कराई। यहां भी कौवों की मौत कोल्ड शाक से होना पाया गया। बर्ड फ्लू नियंत्रण अभियान के नोडल डिप्टी सीवीओ डॉ. एनसी वर्मा ने बताया कि कुंडा के नवाबगंज व कंधई के शिवसत में मृत मिले कौवे कोल्ड शाक से मरे हैं। उनमें बर्ड फ्लू से मरने के लक्षण नहीं मिले।

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संदेह होने पर भोपाल भेजी जाती है रिपोर्ट

बर्ड फ्लू का संदेह होने पर इसकी रिपोर्ट भोपाल लैब भेजी जाती है। सामान्य रूप में पक्षियों के मरने पर आइवीआरइ (इंडियन बर्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट) रायबरेली रिपोर्ट भेजी जाती है। यह जानकारी मुख्य पशुचिकत्साधिकारी डॉ. विजय प्रताप सिंह ने दी।

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बर्ड फ्लू के नियंत्रण को 17 टीमें गठित

प्रतापगढ़ : बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग ने जिले में कुल 17 टीमें बनाई हैं। इन्हें वन विभाग से समन्वय स्थापित कर जांच करने का निर्देश दिया गया है। जनपद में पशुपालन विभाग द्वारा कंट्रोल रूम स्थापित कर दिया गया है। इसका नंबर दूरभाष 05342-222817 व 7376411629 तथा 9415653399 है। मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डॉ. विजय प्रताप सिंह ने बताया कि कहीं भी पक्षियों की असामयिक एवं आकस्मिक मृत्यु की सूचना मिलने पर तहसील एवं जनपदीय नोडल अधिकारी द्वारा स्थान का भ्रमण किया जा रहा है। भ्रमण के समय पीपीई किट का प्रयोग किया जा रहा है। जनपदीय नोडल डिप्टी सीवीओ डॉ. एनसी वर्मा को बनाया गया है।

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क्या है बर्ड फ्लू

बर्ड फ्लू पक्षियों में होने वाला विषाणु जनित संक्रामक रोग है। सामान्यत: यह पक्षियों को ही संक्रमित करता है। यह सूकर व अश्व को भी संक्रमित कर सकता है। संक्रमित पक्षियों की आंख, श्वांस नलिका तथा बीट के संपर्क में आने से पक्षियों व मनुष्यों में फैलता है। संक्रमित पक्षियों व कुक्कुट प्रक्षेत्र के प्रयोग में आने वाली समस्त सामग्री व उपकरणों के संपर्क में आने से रोग फैल सकता है।

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क्या हैं लक्षण

पक्षी को ज्वर आना, पैरों का बैंगनी हो जाना, पक्षियों के गर्दन तथा आंखों के निचले हिस्से में सूजन व हरे व लालरंग की बीट बर्ड फ्लू के लक्षण हैं। बर्ड फ्लू रोग से बचाव के लिए पक्षी फार्म के आस-पास सूअर पालन न करें। फार्म के आस-पास साफ-सफाई रखें तथा कूड़ा करकट व गंदगी न इकट्ठा होने दें। मृत पक्षियों का डिस्पोजल गड्ढे में दबाकर किया जाए। कुक्कुट उत्पाद खाने से कोई नुकसान नहीं होता है। अंडा, मांस को खाने से पहले उसे खूब पकाएं।

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