1.65 लाख मनरेगा मजदूर काम करने से खड़े किए हाथ
प्रतापगढ़। वैसे तो जिले भर की एक हजार 193 ग्राम पंचायतों में तीन लाख से अधिक मनरेगा मजदूर है
प्रतापगढ़। वैसे तो जिले भर की एक हजार 193 ग्राम पंचायतों में तीन लाख से अधिक मनरेगा मजदूर हैं। इसमें से काफी मजदूर गांव में ही बंधा निर्माण, चकरोड, भूमि समतलीकरण आदि का काम कर रहे हैं। वहीं जनपद में एक लाख से अधिक मजदूर काम करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। किसी को मनरेगा का काम रास नहीं आ रहा है तो किसी को मजदूरी समय से नहीं मिल रही है। वह काम करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। काम संख्या में मजदूरों द्वारा काम न किए जाने से मनरेगा विभाग के अफसर तनाव में हैं। किरकिरी भी शासन में हो रही है।
जिले भर में 17 ब्लाक हैं। इसके अंतर्गत तीन लाख से अधिक मनरेगा मजदूर हैं। आसपुर देवसरा में छह हजार 120, बाबा बेलखरनाथ धाम में पांच हजार 261, बाबागंज में 11 हजार 32, बिहार में 16 हजार 116, गौरा में चार हजार 229, कालाकांकर में छह हजार 203, कुंडा में 13 हजार 347 मनरेगा मजदूर हैं। वहीं लक्ष्मणपुर में सात हजार 259, लालगंज में पांच हजार 198, मंगरौरा में पांच हजार 520, मानधाता में आठ हजार 383, पट्टी में चार हजार 627, सदर में तीन हजार 931, रामपुर संग्रामगढ़ में छह हजार 925, संडवा चंद्रिका में पांच हजार 693, सांगीपुर में छह हजार 693 सहित अन्य ब्लाक में मिलाकर एक लाख 20 हजार 200 मनरेगा मजदूर हैं। मनरेगा विभाग से मिली रिपोर्ट के अनुसार करीब एक लाख 65 हजार मनरेगा मजदूर निष्क्रिय है। जो काम नहीं कर रहे हैं। प्रदेश में मनरेगा मजदूरो को काम देने की रैंकिग में जनपद 20 वें स्थान पर है। खराब प्रगति से अफसर तनाव में हैं। डीसी मनरेगा डॉ. एनएन मिश्रा ने बताया कि सभी मनरेगा मजदूरों को रोजगार से जोड़े जाने का लक्ष्य है।
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201 रुपये है मिलती है मजदूरी
दो साल पहले जहां मनरेगा मजदूरों को एक दिन की मजदूरी 185 रुपये मिलती थी। वहीं इसे बढ़ाकर 190 रुपये कर दिया गया। साल भर पहले मजदूरी में फिर से इजाफा किया गया। वर्तमान में मनरेगा मजदूरों को एक दिन की मजदूरी के तौर पर 201 रुपये मिल रहा है। कम मजदूरी मिलने से भी काफी मजदूर काम करने को तैयार नहीं हैं। वहीं शहर व गांव में ही उनको मजदूरी करने के एवज में 350 से 450 रुपये मिलता है।