गोबर से मूर्तियां बनाकर आत्मनिर्भर बनीं महिलाएं

पीलीभीतजेएनएन राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत गांवों में गठित स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। विभिन्न तरह के उत्पाद तैयार कर बिक्री से परिवार के लिए अतिरिक्त आमदनी जुटा रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 11:25 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 11:25 PM (IST)
गोबर से मूर्तियां बनाकर आत्मनिर्भर बनीं महिलाएं
गोबर से मूर्तियां बनाकर आत्मनिर्भर बनीं महिलाएं

पीलीभीत,जेएनएन: राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत गांवों में गठित स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। विभिन्न तरह के उत्पाद तैयार कर बिक्री से परिवार के लिए अतिरिक्त आमदनी जुटा रही हैं।

विकास खंड क्षेत्र में गांव पृथ्वीपुर में गोशाला है। समूह की महिलाओं द्वारा गायों के गोबर से विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। गोबर से दीये, मूर्तियां शुभ लाभ बनाने का कार्य किया जा रहा है। समूह की महिलाओं को बाल पोषाहार आंगनबाड़ी केंद्र तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, इससे भी उन्हें फायदा हो रहा है। समूह के गठन के छह माह बाद सीसीएल बन जाती है, जिसके बाद समूह कारोबार बढ़ाने के लिए बैंक से ऋण प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त समूह की महिलाएं किसान क्रेडिट कार्ड की तरह समूह की साख बंधक कर ऋण प्राप्त करके अपना कोई भी रोजगार कर सकती हैं। विकास खंड में 212 संचालित समूह हैं,जिसमें से 22 समूहों का सीसीएल हो चुका है। 62 समूहों की सीसीएल के लिए डिमांड भेजी जा चुकी है। समूह की महिलाओं को झाड़ू बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है तथा कुछ झाड़ू बनाई गई है। एडीओ जमालुद्दीन के अनुसार समूह में महिलाओं को कई चीजों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

गांव पिपरिया मंडन की रसना देवी बताती है कि राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के समूह को आगे सरकार द्वारा और भी सुविधाएं दी जाएंगी।

पिपरा खास की रितु गंगवार कहती हैं कि समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह की ट्रेनिग दी गई है। इससे काफी कुछ नया सीखने का अवसर मिला है।

दिहुना गांव की वेदवती बताती है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय आजीविका मिशन योजना से समूह की महिलाओं को रोजगार के साथ-साथ लाभ भी मिल रहा है।

गांव बढ़ेरा निवासी अनीता देवी का कहना है कि समूह में महिलाएं जितना अधिक परिश्रम कर लें, उतना ही फायदा मिलता है। उत्पादों की बिक्री में विभाग के कर्मचारी मदद करते हैं।

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