विद्यार्थियों ने समझा संवैधानिक कर्तव्य का पालन

पीलीभीतजेएनएन दैनिक जागरण की संस्कारशाला विद्यार्थियों को संस्कारित करने का काम कर रही है। प्रकाशित कहानी सुनकर बच्चों ने जाना कि उनके क्या क्या संवैधानिक कर्तव्य हैं। उनका पालन किस प्रकार से किया जा सकता है। एकाग्रता से बच्चों ने कहानी सुनी और फिर उस पर आधारित पूछे गए सवालों का तत्परता से जवाब भी दिया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 11:29 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 11:29 PM (IST)
विद्यार्थियों ने समझा संवैधानिक कर्तव्य का पालन
विद्यार्थियों ने समझा संवैधानिक कर्तव्य का पालन

पीलीभीत,जेएनएन : दैनिक जागरण की संस्कारशाला विद्यार्थियों को संस्कारित करने का काम कर रही है। प्रकाशित कहानी सुनकर बच्चों ने जाना कि उनके क्या क्या संवैधानिक कर्तव्य हैं। उनका पालन किस प्रकार से किया जा सकता है। एकाग्रता से बच्चों ने कहानी सुनी और फिर उस पर आधारित पूछे गए सवालों का तत्परता से जवाब भी दिया।

गुरुवार की सुबह स्प्रिंगडेल कालेज में जागरण की ओर से आयोजित कार्यक्रम में संस्कारशाला के तहत प्रकाशित कहानी हम तो चले घूमने का वाचन विद्यार्थियों के समक्ष सेवानिवृत्त शिक्षक, समाधान विकास समिति विपनेट क्लब के रिसोर्स पर्सन लक्ष्मीकांत शर्मा ने किया। कहानी में कोरोना काल का चित्रण करने के साथ ही दो परिवारों के सदस्यों का एक साथ घूमने के लिए वृंदावन जाना और वहां विधवाओं को देखकर उनके मन में जिज्ञासा उत्पन्न होने के प्रसंग को बड़े ही रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया गया। यही कारण रहा कि बच्चों ने पूरी एकाग्रता के साथ कहानी को सुना। कहानी सुनाने के बाद विद्यार्थियों से कहानी पर ही आधारित विभिन्न सवाल पूछे गए। विद्यार्थियों ने तत्परता से सवालों के जवाब दिए। इस कहानी के माध्यम से विद्यार्थियों को यह सीख मिली कि स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों का पालन किस तरह से किया जा सकता है। विद्यार्थियों की बात

यह कहानी बहुत अच्छी लगी। हम लोगों को भी समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। देश की आजादी के लिए हुए आंदोलन में जो आदर्श स्थापित किए गए, वे आज भी समाज के लिए बहुत उपयोगी हैं।

कौशल कुमार संस्कारशाला की कहानी हम सभी लोगों को नसीहत देने वाली है। क्योंकि जो आजादी लंबे संघर्ष के बाद मिली, उसे सुरक्षित रखना और समाज में एकजुटता बनाए रखना नई पीढ़ी की जिम्मेदारी है। समाज के प्रति उनका यह कर्तव्य बनता है।

मोहम्मद मोहतशिम

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान किस तरह से सब कुछ ठहर सा गया था। लगातार घरों में रहने के कारण लोगों की मनोदशा किस तरह से प्रभावित हुई, इस कहानी में इसका चित्रण बड़े रोचक ढंग से किया गया। कहानी से कर्तव्यों की सीख मिली।

अंशिका सिंह

स्वाधीनता संग्राम के दौरान समाज सुधार के कार्य भी हमारे महापुरुष करते रहे हैं, इसीलिए कई कुप्रथाओं का अंत हो सका। अभी भी समाज में कई तरह की कुरीतियां और अंधविश्वास कायम है। इसे दूर करने का प्रयास होना चाहिए।

ब्रजेश कुमार शिक्षकों की बात

दैनिक जागरण की संस्कारशाला से बच्चों को बहुत लाभ मिल रहा है। इसके तहत प्रकाशित होने वाली कहानियां ज्ञानव‌र्द्धक होती हैं। इससे बच्चों को नई नई सीख मिलती है। उनका सामान्य ज्ञान बढ़ने के साथ ही समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा होता है।

अंजू शर्मा, शिक्षिका संस्कारशाला की कहानियों में काफी रोचकता होती है। इससे विद्यार्थियों को अपने कर्तव्यों के पालन के प्रति जागरूक होने की प्रेरणा मिलती है। आज के परिवेश बच्चों के लिए शिक्षा के साथ ही अच्छे संस्कार भी बेहद जरूरी हैं। दैनिक जागरण यह कार्य लगातार कर रहा है।

प्रतीक गंगवार, शिक्षक प्रधानाचार्य की बात

दैनिक जागरण संस्कारशाला के माध्यम से विद्यार्थियों को अच्छे संस्कार देने का काम कई वर्षों से कर रहा है। बच्चों पर इसका काफी अच्छी प्रभाव भी देखा गया है। कहानियों के माध्यम से बच्चों को उनके कर्तव्यों का ज्ञान होता है। जागरण अपने सामाजिक सरोकार के प्रति हमेशा समर्पित रहा है।

प्रिया आनंद, प्रधानाचार्य स्प्रिंगडेल कालेज कार्यकारी निदेशक की बात

जागरण अपने सामाजिक दायित्वों का भी निर्वहन करता रहा है। इसी कड़ी में संस्कारशाला का आयोजन है। इससे बच्चों को बड़ी सीख मिलती है। बच्चों को कहानियां वैसे भी काफी पसंद आती हैं लेकिन संस्कारशाला की कहानियां बच्चों को अच्छे कार्यों की ओर प्रेरित करने वाली होती हैं।

डा. हेमंत जगोता, कार्यकारी निदेशक स्प्रिंगडेल कालेज

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