जीतने की जिद..सिमरनजीत, ओलिंपिक में मिला पदक
पीलीभीतजेएनएन कई दशक बाद ओलंपिक में भारतीय हाकी टीम के पदक जीतने का सपना साकार हु
पीलीभीत,जेएनएन : कई दशक बाद ओलंपिक में भारतीय हाकी टीम के पदक जीतने का सपना साकार हुआ है। खास बात यह रही कि तराई के इस जिले में जन्मे और पले-बढ़े खिलाड़ी सिमरनजीत सिंह का इसमें बड़ा योगदान रहा। सिमरनजीत को तो जैसे जीतने की जिद सवार थी, उनके दो गोल जर्मनी पर जीत दिलाने में सहायक बने। हाकी प्रेमियों के साथ ही सिमरनजीत के परिवार ने भी टीवी पर मैच को देखा। भारतीय टीम के जीतते ही लोग उत्साह से झूम उठे।
गुरुवार को सुबह टोक्यो ओलंपिक में भारत व जर्मनी के बीच मैच शुरू होते ही लोग टीवी सेट आन करके उसके सामने बैठ गए। मैच में सिमरनजीत को खेलते देख लोगों का उत्साह और बढ़ गया। उधर मझोला के गांव मझारा फार्म पर सिमरनजीत के पिता इकबाल सिंह, माता मंजीत कौर समेत परिवार के अन्य सदस्य मैच शुरू होने से कुछ पहले ही टीवी आन करके उसके सामने बैठ गए। सिमरनजीत की मां प्रार्थना करती रहीं कि यह मैच भारत जरूर जीते। इसी दौरान जब सिमरनजीत ने पहला गोल दागा तो टीवी पर मैच देख रहे परिवार के लोग खुशी से उछल पड़े। उन्हें उम्मीद जगी कि ओलंपिक में पदक जीतने का सपना साकार होने जा रहा है। कुछ देर बाद ही सिमरनजीत ने एक और गोल दाग दिया। तब दर्शकों को लगने लगा कि अब जीत करीब है। अंतत: भारत ने जर्मनी को पराजित कर मैच जीत लिया। भारतीय टीम कांस्य पदक मिला। इसी के साथ मझारा फार्म पर जश्न शुरू हो गया। इस उपलब्धि पर सिमरनजीत के पिता बोले : बेटे ने सिर्फ जिले का ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन किया है। मां मंजीत कौर की तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह भावुक हो उठीं और आंखों से खुशी से आंसू छलक पड़े।