बढ़ रहे बाघ, छोटा पड़ रहा जंगल
टाइगर रिजर्व बनने के बाद यहां के जंगल में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में जंगल छोटा पड़ने लगा है। बार बार जंगल से बाहर आने का यह भी एक प्रमुख कारण माना जाता है।
पीलीभीत,जेएनएन : टाइगर रिजर्व बनने के बाद यहां के जंगल में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में जंगल छोटा पड़ने लगा है। बार बार जंगल से बाहर आने का यह भी एक प्रमुख कारण माना जाता है।
वर्ष 2014 जून में जब यहां के जंगल को पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था, तब बाघों की संख्या 32,33 बताई जा रही थी। टाइगर रिजर्व बनने के बाद वर्ष 2015-16 में हुई गणना में 54 बाघ होने की पुष्टि की गई। इसके उपरांत वर्ष 2019-20 में हुई गणना के पश्चात बाघों की संख्या 65 से अधिक हो जाने की बात सामने आई। चार साल की अवधि में बाघों की संख्या दोगुनी हो जाने पर वर्ल्ड टाइगर फोरम की ओर से टाइगर रिजर्व को अवार्ड मिल चुका है। एक ओर बाघों की बढ़ती संख्या से वन विभाग के अधिकारियों में खुशी है लेकिन दूसरी ओर उनकी सुरक्षा एवं संरक्षण की चुनौती भी खड़ी हो गई है। कुल 73 हजार 24.98 हेक्टेयर में फैले जंगल की लंबाई तो 60 किमी है लेकिन चौड़ाई सिर्फ 15 किमी ही है। सेव इन्वायरमेंट सोसायटी के सचिव टीएच खान के अनुसार यहां का जंगल यू आकार का है। एक बाघ का अपना क्षेत्र लगभग पांच किमी का होता है। उस क्षेत्र में किसी अन्य नर बाघ को वह टिकने नहीं देता। चूंकि जंगल में बाघों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में जवान हो चुके बाघ को अपना अलग क्षेत्र चाहिए। वे बूढ़े हो रहे बाघ को अपने इलाके में टिकने नहीं देते। इनसेट
बाघिन के साथ हो सकता है शावक
घुंघचाई-दियोरिया मार्ग पर हुई घटना में हमला करने वाली बाघिन और उसका शावक हो सकता है, क्योंकि दो नर बाघ एक साथ नहीं हो सकते। दूसरे इस समय बाघ-बाघिन का जोड़ा भी एक साथ विचरण नहीं कर सकते। दोनों के मिलन का यह समय नहीं है। बाघ-बाघिन का मिलन पीरियड सर्दियों में होता है। बगैर मिलन के बाघिन बाघ के पास नहीं जाती। टाइगर रिजर्व के प्रभागीय वनाधिकारी नवीन खंडेलवाल की ओर से जारी विज्ञप्ति में स्पष्ट रूप से बाघ के हमले की बात कही गई है। साथ ही बताया गया कि बाघ ने कंधईलाल के कमर से नीचे के हिस्से को खा लिया जबकि सोनू की गर्दन पर हमला करके मार दिया।