चिड़िया घर में रहेंगे चारों शावक
पिछले दिनों टाइगर रिजर्व की माला रेंज में बाघिन की मौत के लगभग पखवारा भर बाद बमुश्किल जंगल में खोजे गए उसके चारों शावकों का जीवन अब चिड़ियाघर में ही गुजरेगा। उन्हें जंगल में स्वच्छंद विचरण का अवसर नहीं मिल सकेगा क्योंकि जंगल का वातावरण उनके लिए अपरिचित रहेगा।
पीलीभीत,जेएनएन : पिछले दिनों टाइगर रिजर्व की माला रेंज में बाघिन की मौत के लगभग पखवारा भर बाद बमुश्किल जंगल में खोजे गए उसके चारों शावकों का जीवन अब चिड़ियाघर में ही गुजरेगा। उन्हें जंगल में स्वच्छंद विचरण का अवसर नहीं मिल सकेगा, क्योंकि जंगल का वातावरण उनके लिए अपरिचित रहेगा।
14 मार्च को पीलीभीत टाइगर रिजर्व की माला रेंज के जंगल में एक बाघिन का शव पड़ा मिला था। जांच-पड़ताल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह पुष्टि हुई थी कि बाघ के साथ संघर्ष के दौरान बाघिन की मौत हुई है। तभी पता चला कि इस बाघिन को घटना से कई दिन पहले चार शावकों के साथ विचरण करते देखा गया था। ऐसे में टाइगर रिजर्व प्रशासन को चिता हुई कि अगर मरने वाली बाघिन वही है तो फिर शावक कहां गए। शावकों की जान को खतरे के मद्देनजर उस एरिया में 25 ट्रैप कैमरे लगाए गए। साथ ही कई टीमों को खोजबीन में जुटाया गया। आखिरकार बाघिन की मौत के 12 दिन बाद चारों शावकों को जंगल में खोज निकाला गया। यह टाइगर रिजर्व प्रशासन की बड़ी कामयाबी मानी गई। शावकों को जंगल में फिर से नहीं छोड़ा जा सकता है। ऐसे में वन विभाग के उच्चाधिकारियों की सहमति से चारों शावक लखनऊ चिड़िया घर में भेज दिए गए थे। उस समय शावकों की उम्र लगभग सवा महीने थी। अब चारों शावक चिड़िया घर में ही पल रहे हैं। बड़े होकर भी इन्हें अपनी जन्मभूमि (जंगल) के खुले वातावरण में सांसें लेने का अवसर नहीं मिलेगा। टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल का कहना है कि ये शावक बड़े होने के बाद जंगल में नहीं ठहरेंगे, क्योंकि पिजरा में रहने की आदत पड़ चुकी है इसलिए चिड़िया घर में भेजा जाएगा।