आधी क्षमता के साथ महामारी से पार पाना चुनौती

महामारी की मार में मानव व चिकित्सकीय संसाधनों का अभाव स्वास्थ्य विभाग के लिए कंगाली में आटा गीला सरीखा है। यह हाल तब है जब शासन स्तर से मानव संसाधन व चिकित्सकीय उपकरण बढ़ाने के आदेश दिए गए। साथ ही पर्याप्त बजट भी मुहैया कराया गया। विभाग में शासनादेश का हवाला देते हुए फाइलें बनीं। डिमांड मांगी गई। औपचारिकताएं पूरी हुईं और फिर फाइल अटक गई। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की स्थिति नौ दिन चले अढ़ाई कोस जैसी हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 10:06 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 10:06 PM (IST)
आधी क्षमता के साथ महामारी से पार पाना चुनौती
आधी क्षमता के साथ महामारी से पार पाना चुनौती

पीलीभीत,जेएनएन: महामारी की मार में मानव व चिकित्सकीय संसाधनों का अभाव स्वास्थ्य विभाग के लिए कंगाली में आटा गीला सरीखा है। यह हाल तब है जब शासन स्तर से मानव संसाधन व चिकित्सकीय उपकरण बढ़ाने के आदेश दिए गए। साथ ही, पर्याप्त बजट भी मुहैया कराया गया। विभाग में शासनादेश का हवाला देते हुए फाइलें बनीं। डिमांड मांगी गई। औपचारिकताएं पूरी हुईं और फिर फाइल अटक गई। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की स्थिति नौ दिन चले अढ़ाई कोस जैसी हो गई है। एक व्यक्ति की रैपिड रिस्पांस टीम: कहने को जनपद में 105 रैपिड रिस्पांस टीमें काम कर रही हैं। संख्या देखकर यह टीमें पर्याप्त मालूम होती हैं लेकिन स्थिति कुछ अलग ही है। दरअसल, जिसे टीम का नाम दिया जा रहा है उसमें केवल एक स्वास्थ्य कर्मी है। अब भला एक कर्मी से कौन सी टीम बनती है। एक कर्मी पर निर्धारित क्षेत्र के संक्रमित व्यक्ति को ट्रेस कर आइसोलेट करने, उसे दवा देने, उसका रिकार्ड बनाने, कांटेक्ट ट्रेसिग करने व सैंपलिग करने की जिम्मेदारी है।

इससे पहले जनपद में 35 रैपिड रिस्पांस टीमें काम कर रही थीं। एक टीम में तीन से चार स्वास्थ्य कर्मी शामिल थे। पिछले दिनों जिलाधिकारी ने संख्या बढ़ाकर 105 करने के आदेश दिए तो सीएमओ ने चार लोगों को अलग-अलग कर चार टीमें बना डाली। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्षेत्रों में काम कितना मुस्तैदी से हो रहा होगा या केवल कागजों में पूरा दिखाया जा रहा होगा। तीन डाक्टरों की फाइल अटकी: राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत तीन एमबीबीएस डाक्टरों की नियुक्ति होनी है। स्वास्थ्य विभाग में महीने भर पहले समस्त औपचारिकताएं पूर्ण कर फाइल जिलाधिकारी को भेज दी। इतना समय बीतने के बाद भी फाइल आजतक वापस नहीं लौटी है। ऐसे में डॉक्टरों की कमी और उससे हो रहा जनता का नुकसान कितना जायज है। 10 गाड़ियां लेने का आया प्रावधान: कोरोना महामारी में संक्रमण का दायरा बढ़ा तो रैपिड रिस्पांस टीमों का कार्यक्षेत्र भी बढ़ गया। शासन स्तर से क्षेत्रों में अधिक से अधिक भ्रमण कर ट्रेसिग व टेस्टिग करने के आदेश दिए गए। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमों को क्षेत्र में आवागमन के लिए 10 गाड़ियां हायर करने का शासनादेश भेजा गया। उस शासनादेश का अनुपालन आज तक नहीं हुआ है। लिहाजा टीमें बिना वाहन के क्षेत्र में जा नहीं पातीं और शासन की मंशा के अनुरूप ट्रेसिग टेस्टिग का काम नहीं हो पाता। एक साल पहले साक्षात्कार, आजतक भर्ती नहीं: जनपद के स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर से लेकर सफाई कर्मी तक सभी पदों पर भारी कमी है। गत वर्ष महामारी का प्रकोप बढ़ा तो शासन स्तर से संविदा आधारित स्टाफ रखने के आदेश दिए गए थे। महामारी के बीच अपनी सेहत पर दांव लगाकर हजारों आवेदक डॉक्टर, स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन, वार्ड ब्वाय, वार्ड आया व सफाई कर्मी के पद हेतु साक्षात्कार देने पहुंचे। दो दिन तक चले साक्षात्कार में जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौजूद रहे। उसके बाद आजतक उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। अगर उसमें से कुछ भर्तियां हो जातीं तो विभाग को स्टाफ की कमी से नहीं जूझना पड़ता और लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल पातीं।

संविदा पर भर्ती हेतु इस बार भी शासनादेश आया लेकिन नियमित पदों के सापेक्ष रिक्त पदों पर नियुक्तियां की गईं। उसकी फाइल भी अटकी रही तो सीएमओ ने अपने स्तर से नियुक्ति दे दी। नियमानुसार वर्तमान समय में जरूरत के अनुसार नियुक्तियां की जा सकती थीं। एलटी व एलए ही पर्याप्त नहीं, कैसे कराएं सैंपलिग: गांवों में बढ़े संक्रमण और शासनादेश के सापेक्ष कम हो रही सैंपलिग के मामले पर जनपद के प्रभारी चिकित्साधिकारियों से वार्ता की गई। सभी ने क्षेत्र में भ्रमण के लिए वाहन की कमी व सैंपलिग के लिए लैब टेक्निशियन/असिस्टेंट की कमी को प्रमुख बताया। उन्होंने कहा कि हम लोग आधी क्षमता के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं। स्टाफ की कमी के कारण स्टाफ नर्स, वार्ड ब्वाय व फार्मासिस्ट से जबरजस्ती सैंपलिग कराते हैं जिन्हें इस कार्य का कोई अनुभव नहीं है। इस स्थिति में कैसे लक्ष्य पूरा किया जाए व अन्य प्रबंधन किए जाएं।

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सीएमओ अधीन डाक्टरों के नियमित पद- 109

तैनात डॉक्टरों की संख्या- 77

गायब/पीजी अवकाश पर- 28

वर्तमान में कार्यरत(सीएमओ समेत)- 48

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लैब असिस्टेंट व टेक्निशियन के स्वीकृत पद- 38

जनपद में तैनात- 15

------------- क्षेत्र रिस्पांस टीम वाहन एलटी/एलए

पूरनपुर 7 2 2

बीसलपुर 7 2 2

बिलसंडा 13 2 1

न्यूरिया 5 2 2

बरखेड़ा 4 1 1

ललौरीखेड़ा 12 3 2

शहर 4 3 1 वर्जन--

स्टाफ की कमी के बाबत उच्चाधिकारियों को सूचित करा दिया जाता है। संविदा आधारित भर्ती पर अंतिम निर्णय जिलाधिकारी को लेना होता है। प्रक्रिया संपन्न कराकर फाइल जिलाधिकारी को भेज दी जाती है। वर्तमान में जो स्टाफ मौजूद है उससे ही बेहतर कार्य कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।

- डा. सीमा अग्रवाल, सीएमओ

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