प्रवासियों के सामने रोजी-रोटी का संकट

क्षेत्र में दूसरे राज्य हरियाणा दिल्ली नोएडा राजस्थान पंजाब उत्तराखंड जगहों से सैकड़ों की तादाद में प्रवासी श्रमिक अपने गंतव्य पर पहुंच चुके हैं। गांव में रोजगार न होने से अब उन लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है। प्रवासियों ने बताया कि बड़ी कठिनाई से सफर किया है जहां काम करते थे वहां भी काम धंधा बंद हो गया जिससे मुश्किलें खड़ी हो गईं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Jun 2020 11:19 PM (IST) Updated:Wed, 03 Jun 2020 06:09 AM (IST)
प्रवासियों के सामने रोजी-रोटी का संकट
प्रवासियों के सामने रोजी-रोटी का संकट

जेएनएन, अमरिया (पीलीभीत) : क्षेत्र में दूसरे राज्य हरियाणा दिल्ली नोएडा राजस्थान पंजाब उत्तराखंड जगहों से सैकड़ों की तादाद में प्रवासी श्रमिक अपने गंतव्य पर पहुंच चुके हैं। गांव में रोजगार न होने से अब उन लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है। प्रवासियों ने बताया कि बड़ी कठिनाई से सफर किया है जहां काम करते थे वहां भी काम धंधा बंद हो गया जिससे मुश्किलें खड़ी हो गईं। खाली बैठे जो कमाया वह खा लिया इस स्थिति में हर रोज घर की याद सताने लगी घर आने के लिए बहुत प्रयास किया लेकिन सवारियों की कोई व्यवस्था नहीं थी मुश्किल से समय बिताया ई पास के लिए आवेदन किया मुश्किल से पास बना तब घरों तक पहुंचे अपनों में आकर बहुत खुशी हुई लेकिन गांव में भी कोई रोजगार नहीं है जिससे मुश्किलें हो रही हैं लेकिन फिर भी घर पर सुकून है भले ही चटनी रोटी खाना पड़े लेकिन बाहर की टेंशन नहीं है।

-काफी समय से दिल्ली में रहकर फैक्ट्री में काम करते थे गुजर बसर अच्छी हो रही थी परिवार भी साथ रहता था लॉकडाउन में काम धंधा बंद हो गया कुछ दिन खाली बैठे इंतजार करते रहे लेकिन जब काम की उम्मीद दिखाई नहीं दी तो परिवार के साथ घर चले आए अभी यहां भी कोई काम नहीं है।

सुरेश कुमार -लॉक डाउन लगने से काम धंधा बंद हो गया जिससे मुश्किलें बढ़ गई है नोएडा में पांच साल से स्वीपर काम कर रहे थे परिवार की जिम्मेदारी भी कंधों पर थी गांव में भी रोजगार नहीं है अब कोई काम धंधा तलाश करेंगे।

मनोज कुमार -गांव के कुछ लड़कों के साथ राजस्थान में फाइबर का काम कर रहे थे बहुत अच्छा धंधा चल रहा था कुछ दिन ही काम किया था। कोरोना वायरस महामारी फैलने से सब काम बंद हो गया फैक्ट्री मालिक ने खाना खर्चा दिया लेकिन काम न होने से बहुत किल्लत होती थी अब बाहर न जाकर घर पर ही रहकर काम करेंगे।

गुलहसन

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