रामलला के अस्थाई मंदिर में पीलीभीत का भी योगदान

अयोध्या में छह दिसबंर 1992 को विवाहित ढांचा ढहने के बाद वहां आनन फानन में रामलला के लिए अस्थाई मंदिर का निर्माण किया गया था। रामलला के लिए अस्थाई तौर पर मंदिर बनाने में अन्य लोगों के अलावा पीलीभीत जिले के भी कारसेवक शामिल थे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 11:11 PM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 06:05 AM (IST)
रामलला के अस्थाई मंदिर में पीलीभीत का भी योगदान
रामलला के अस्थाई मंदिर में पीलीभीत का भी योगदान

पीलीभीत,जेएनएन : अयोध्या में छह दिसबंर 1992 को विवाहित ढांचा ढहने के बाद वहां आनन फानन में रामलला के लिए अस्थाई मंदिर का निर्माण किया गया था। रामलला के लिए अस्थाई तौर पर मंदिर बनाने में अन्य लोगों के अलावा पीलीभीत जिले के भी कारसेवक शामिल थे।

राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहे वरिष्ठ अधिवक्ता धीरेंद्र मिश्र बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। बाद में भारतीय जनता युवा मोर्चा और फिर भारतीय जनता पार्टी के मुख्य संगठन में जिला महामंत्री, जिला उपाध्यक्ष जैसे पदों पर रहे श्री मिश्र ने शासकीय अधिवक्ता बनने पर पार्टी का पद त्याग दिया। वह बताते हैं कि तराई के जिले में वर्ष 1990 के दौरान राम मंदिर आंदोलन चरम पर था। भोर होते ही राम भक्त घरों से निकल पड़ते थे और प्रभातफेरी निकालकर जन जागरूकता बढ़ाते थे। इसी साल आंदोलनकारियों की सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां हुईं। उस साल तीस अक्टूबर को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तिथि तय कर दी गई थी। इसलिए सरकार के निर्देश पर उससे पहले ही प्रमुख नेताओं, कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी होने लगी। डॉ. परशुराम गंगवार, रामसरन वर्मा, बीके गुप्ता, किशन लाल, प्रमोद प्रधान उर्फ मुन्नू, वीर सिंह, ब्रज स्वरूप मिश्र समेत अन्य प्रमुख लोगों के साथ पुलिस ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने सभी को हथकड़ी पहना दी थी। जब यह बात उस समय के सांसद एवं वर्तमान में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार को लगी तो वह तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने हथकड़ी पहनाने का कड़ा विरोध किया, इसके बाद सभी लोगों की हथकड़ी खोल दी गई। श्री गंगवार ने सभी कार्यकर्ताओं को जेल जाने के लिए विदाई दी। अयोध्या में ढांचा ढहने के बाद जिले में प्रमुख नेताओं की फिर गिरफ्तारियां हुईं। अन्य नेताओं के साथ उन्हें भी फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। इस बार उन्हें बरेली के केंद्रीय कारागार में रखा गया। आंदोलन के कई सहयोगी अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन राम मंदिर का जो सपना देखा था, वह साकार हो रहा है। अयोध्या आंदोलन की स्मृति में बनवाया राम मंदिर

वर्ष 1990 के दौरान तराई के इस जिले में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए जोरदार आंदोलन चला था। शहर से लेकर गांवों तक में रोज प्रभातफेरियां निकाली जा रही थीं। विश्व हिदू परिषद, बजरंग दल के साथ ही भाजपा कार्यकर्ता कारसेवकों की तादात जुटाने में लगे थे। बड़े नेताओं, संतों की सभाएं भी आयोजित हो रही थीं। उसी दौरान शासन के निर्देश पर प्रमुख नेताओं, कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करके जेल भेजा जाने लगा। करीब साढ़े ग्यारह सौ लोग जेल गए थे। जेल से रिहा होकर लौटे लोगों ने आपस में चंदा करके अयोध्या आंदोलन की स्मृति के तौर पर सुनगढ़ी थाना चौराहा के निकट स्टेडियम रोड पर राम मंदिर का निर्माण कराया था। तब से इस मंदिर में प्रतिदिन आरती और पूजन होता है। प्रमुख धार्मिक पर्व भी मनाए जाते हैं।

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