मदरसे से बच्चों ने निकाली थी प्रभातफेरी
न्यूरिया कस्बा के मुहल्ला खेड़ा में रहने वाले बुजुर्ग अबरार हुसैन उर्फ नत्थू शेख को याद है जब मदरसे में मुल्क की आजादी का पहला जश्न मनाया गया था। सभी बच्चों की प्रभातफेरी निकाली गई थी। पूरे मदरसे को सजाया गया था। झंडा फहराकर राष्ट्रीय गान गाया गया।
पीलीभीत,जेएएन : न्यूरिया कस्बा के मुहल्ला खेड़ा में रहने वाले बुजुर्ग अबरार हुसैन उर्फ नत्थू शेख को याद है, जब मदरसे में मुल्क की आजादी का पहला जश्न मनाया गया था। सभी बच्चों की प्रभातफेरी निकाली गई थी। पूरे मदरसे को सजाया गया था। झंडा फहराकर राष्ट्रीय गान गाया गया। सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा गीत गाया गया। मास्टरों ने बच्चों को बूंदी के लड्डू बांटे थे। सभी बच्चे बहुत खुश थे। खुशी से मैं मदरसे में मिले लड्डू घर ले गया था। घर पर बड़ों ने बताया था कि अब मुल्क आजाद हो गया है। अब हम अंग्रेजों के गुलाम नहीं रहे। अबरार दो भाई थे। उनके सात बहनें थीं। बड़े भाई कल्लू तब एक जमींदार के यहां दो रुपये महीने की पगार पर नौकरी किया करते थे। उन्हें भी उस दिन जमींदार के यहां से जल्दी छुट्टी मिल गई थी। पूरे मुहल्ले में खुशी छाई हुई थी। उसी दौरान मुल्क का बंटवारा भी हुआ था। मेरी बड़ी बहन और बहनोई समेत कई रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए थे। वालिद ने सभी से कह दिया था कि जिसे जाना हो जाए मगर वह परिवार के साथ बुजुर्गों की जमीन छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।