सूचनाएं साझा करेंगे भारत-नेपाल के वन अधिकारी

टाइगर रिजर्व की सीमा एक ओर दुधवा नेशनल पार्क और दूसरी ओर पड़ोसी देश नेपाल के शुक्ला फांटा जंगल से जुड़ी है। दोनों देशों के वन्यजीव आते जाते रहते हैं। ऐसे में वन्यजीवों की सुरक्षा संरक्षण के साथ ही वन अपराधियों से संबंधित सूचनाओं के आदान प्रदान पर दोनों देशों में सहमति बनी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 12:51 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 12:51 AM (IST)
सूचनाएं साझा करेंगे भारत-नेपाल के वन अधिकारी
सूचनाएं साझा करेंगे भारत-नेपाल के वन अधिकारी

जेएनएन, पीलीभीत : टाइगर रिजर्व की सीमा एक ओर दुधवा नेशनल पार्क और दूसरी ओर पड़ोसी देश नेपाल के शुक्ला फांटा जंगल से जुड़ी है। दोनों देशों के वन्यजीव आते जाते रहते हैं। ऐसे में वन्यजीवों की सुरक्षा, संरक्षण के साथ ही वन अपराधियों से संबंधित सूचनाओं के आदान प्रदान पर दोनों देशों में सहमति बनी है। विश्व प्रकृति निधि की मध्यस्थता में तिमाही बैठक अब लगातार होंगी। साझा सूचना तंत्र विकसित करने की योजना बनाई गई है।

पीलीभीत टाइगर रिजर्व का जंगल पांच रेंजों में विभाजित है। माला, महोफ, हरीपुर, बराही और दियोरिया रेंज नाम दिए गए हैं। इन सभी रेंजों में बाघ, तेंदुआ के साथ ही तमाम तरह के शाकाहारी (तृणभोजी) वन्यजीव भी हैं। बराही रेंज के अंतर्गत आने वाला लग्गा भग्गा वन क्षेत्र शारदा नदी के पार लगता है। इस वन क्षेत्र से नेपाल की शुक्ला फांटा सेंक्चुरी का जंगल बिल्कुल सटा हुआ है। नेपाल के जंगल से बाघ के साथ ही हाथी, गैंडा जैसे वन्यजीव भारतीय वन क्षेत्र में विचरण करने आ जाते हैं। नेपाली हाथियों का झुंड तो हर साल यहां के जंगल में विभिन्न रेंजों में भ्रमण करता है। साथ ही आसपास बसे गांवों के किसानों की फसलों को भी नुकसान पहुंचाता रहा है। दरअसल लग्गा भग्गा वन क्षेत्र का इलाका काफी दुरुह है। वहां अक्सर शिकारियों की सक्रियता बढ़ जाती है। इसीलिए दोनों देशों के वन अधिकारी मिलकर वन्यजीवों की सुरक्षा एवं सूचनाओं का आदान प्रदान करते रहे हैं। बीच में कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी के चलते दोनों देशों के वन अधिकारियों की संयुक्त बैठक नहीं हो सकी। पिछले दिनों यह बैठक टाइगर रिजर्व के मुस्तफाबाद गेस्टहाउस में हुई थी। बैठक का आयोजन विश्व प्रकृति निधि के सहयोग से होता है। वर्जन

पीलीभीत टाइगर रिजर्व से नेपाल की शुक्ला फांटा सेंक्चुरी के जंगल सटा हुआ है। ऐसे में वन्यजीवों की सुरक्षा, संरक्षण एवं वन अपराधियों के संबंधित सूचनाओं का आदान प्रदान करने के लिए संयुक्त बैठक का आयोजन होता है। कोविड काल में यह क्रम टूट गया था लेकिन अब फिर शुरू हो गया है। आगे भी नियमित रूप से संयुक्त बैठक तय समय पर होती रहेगी।

नरेश कुमार, वरिष्ठ परियोजना अधिकारी, विश्व प्रकृति निधि

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