दिन में ही बदहाली, रात में कैसे होगा पोस्टमार्टम
पीलीभीतजेएनएन किसी दुर्घटना में मौत होने के बाद शव प्राप्त करने से लेकर पोस्टमार्टम कराने तक में लोगों के पसीने छूट जाते हैं। मजबूरीवश ही लोग इस बदहाल व्यवस्था में आते हैं फिर बदहाली का शिकार होते हैं। नियंत्रण व निगरानी के अभाव में पोस्टमार्टम कराने की प्रक्रिया लोगों के लिए बहुत जटिल हो जाती है। कमोवेश पोस्टमार्टम हाउस भी ऐसी ही बदहाली का शिकार है जो उपेक्षा के कारण एक डरावनी बिल्डिग में तब्दील होता जा रहा है। शासन के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने दिन की तरह ही रात में भी पोस्टमार्टम कराने के आदेश जारी किए हैं। रात में पोस्टमार्टम के लिए आवश्यक व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए जागरण की टीम बुधवार दोपहर 2.15 बजे पोस्टमार्टम हाउस पहुंची तो अव्यवस्थाओं की पोल खुल गई।
पीलीभीत,जेएनएन: किसी दुर्घटना में मौत होने के बाद शव प्राप्त करने से लेकर पोस्टमार्टम कराने तक में लोगों के पसीने छूट जाते हैं। मजबूरीवश ही लोग इस बदहाल व्यवस्था में आते हैं फिर बदहाली का शिकार होते हैं। नियंत्रण व निगरानी के अभाव में पोस्टमार्टम कराने की प्रक्रिया लोगों के लिए बहुत जटिल हो जाती है। कमोवेश पोस्टमार्टम हाउस भी ऐसी ही बदहाली का शिकार है जो उपेक्षा के कारण एक डरावनी बिल्डिग में तब्दील होता जा रहा है। शासन के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने दिन की तरह ही रात में भी पोस्टमार्टम कराने के आदेश जारी किए हैं। रात में पोस्टमार्टम के लिए आवश्यक व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए जागरण की टीम बुधवार दोपहर 2.15 बजे पोस्टमार्टम हाउस पहुंची तो अव्यवस्थाओं की पोल खुल गई। पोस्टमार्टम हाउस में न स्टाफ मौजूद मिला और न ही साफ-सफाई दिखाई दी। मिला तो बस मुख्य भवन के गेट पर जंजीर के साथ जड़ा एक ताला जो अव्यवस्थाओं में कदम बढ़ाने से रोक रहा था। दृश्य एक : गेट पर ताला, स्टाफ नदारद
पोस्टमार्टम हाउस के मुख्य भवन पर दोपहर 2.15 बजे ताला लगा था। कोई भी चौकीदार व स्टाफ का सदस्य मौके पर मौजूद नहीं था। आसपास मवेशियों को चरा रहे लोगों ने बताया कि यहां दिन भर कोई मौजूद नहीं रहता है। कई बार लोग शव लेकर खड़े रहते हैं लेकिन घंटों कोई नहीं पहुंचता। इस कारण कई बार हंगामा भी हो चुका है लेकिन व्यवस्था के कोई सुधार नहीं होता। किसी का नहीं उठा फोन
मुख्य भवन के पास एक फ्लैक्स लगा हुआ पाया गया जिसमें सफाई नायक, चौकीदार, फार्मासिस्ट, प्रभारी चिकित्सक, एसीएमओ व सीएमओ के मोबाइल नंबर लिखे थे। जागरण संवाददाता ने सभी का मोबाइल नंबर डायल किया,लेकिन किसी का फोन नहीं उठा। अंत में केवल सीएमओ का फोन रिसीव हुआ वो भी इसलिए क्योंकि मोबाइल नंबर उनके फोन में सुरक्षित होगा। ऐसा में एक आम आदमी को शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए स्टाफ को बुलाने में कितनी मशक्कत करनी पड़ती होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
दृश्य दो : शव गृह खंडहर, मैदान में झाड़ियां व गड्ढे
शासन स्तर से रात में पोस्टमार्टम कराने के आदेश दिए तो गए लेकिन कभी स्थानीय अधिकारियों से पोस्टमार्टम हाउस की हकीकत जानने का प्रयास नहीं किया। पोस्टमार्टम हाउस में प्रवेश करते ही चार शव-शैया कक्ष बने हुए हैं। इन कक्षों की उपेक्षा के कारण ये खंडहर में बदल चुके हैं। दरवाजे टूट कर गिर चुके हैं जिसे शरारती तत्वों ने चोरी कर लिया। इसके अलावा मैदान में लंबी लंबी घास, झाड़ियां व बड़े-बड़े गड्ढे दिखाई देते हैं।
दृश्य तीन : लावारिस शवों का पोस्टमार्टम कक्ष खस्ताहाल
पोस्टमार्टम हाउस में एक भवन स्थापित है जिस पर सड़ी-गली लाशों का पोस्टमार्टम कक्ष लिखा हुआ है। मवेशी चरा रहे लोगों ने बताया कि इसमें लावारिस शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है। कक्ष का दरवाजा गायब था। बाहर से ही कक्ष की हालत बीभत्स लग रही थी। अंदर भी गंदगी, जमा हुआ खून, मकड़ी के जाले दिखाई दिए। इसे देखकर पोस्टमार्टम हाउस की देखरेख, रखरखाव व निगरानी का अंदाजा लगाया जा सकता है।
प्रकाश ही नहीं, कैसे होगा रात में पोस्टमार्टम
रात में पोस्टमार्टम होने के लिए सबसे जरूरी उचित प्रकाश की व्यवस्था होना है। पोस्टमार्टम हाउस में इंवर्टर की व्यवस्था नहीं है। कुछ माह पहले इंवर्टर चोरी हुआ था जिसके बाद से अब तक इंवर्टर नहीं लगवाया गया है। इसके अलावा पोस्टमार्टम कक्ष में तीव्र प्रकाश की उचित व्यवस्था न होने से दिन में ही कई बार दिक्कतें आती हैं। ऐसे में इस बदहाल व्यवस्था के साथ रात में पोस्टमार्टम बहुत मुश्किल होगा। प्रकाश व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
पोस्टमार्टम होते समय प्रकाश की उचित व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है। उसके अनुसार पोस्टमार्टम कक्ष में शव के ऊपर छह तीव्र प्रकाश बल्बों की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा कक्ष में अन्य उपयुक्त व निर्बाध प्रकाश रहना चाहिए। सीसीटीवी अक्रियाशील, सुरक्षा में सेंध
पोस्टमार्टम हाउस में सीसीटीवी कैमरे अक्रियाशील हैं। कई माह पूर्व हुई चोरी में चोर इंवर्टर व मानीटर उठा ले गए थे। अब तक दोबारा इन संसाधनों की व्यवस्था नहीं हो सकी है। वर्तमान व्यवस्था में रात के समय सुरक्षा की ²ष्टि से कड़ी चुनौती है। पूर्व डीएम ने लगाई थी फटकार
कोरोना काल से पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने पोस्टमार्टम हाउस का औचक निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान इन्हीं बदहाल व्यवस्थाओं को देखकर वह बिफर पड़े थे। उन्होंने सीएमओ की कड़ी फटकार लगाते हुए व्यवस्थाओं में सुधार कराने के निर्देश दिए थे लेकिन स्वास्थ्य महकमे पर उच्चाधिकारियों के आदेश का कोई असर नहीं होता। रात में पोस्टमार्टम होने का कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। स्टाफ पुलिस लाइन में मौजूद रहता है। जब कोई शव आता है तो स्टाफ को बुला लिया जाता है। चौकीदार को मौजूद रहना चाहिए। इस बाबत जानकारी ली जाएगी।
- डा. सीमा अग्रवाल, सीएमओ