बार्डर के जंगल की निगरानी करेंगे ग्रीन सोल्जर

टाइगर रिजर्व के महोफ रेंज का जंगल उत्तराखंड के सुरई रेंज के जंगल से सटा हुआ है। बार्डर के जंगल में पूर्व में शिकारियों की सक्रियता रही है। ऐसे में पीटीआर प्रशासन कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। बार्डर के इस जंगल में निगरानी के लिए 81 सदस्यीय ग्रीन सोल्जर की ड्यूटी विभिन्न स्थानों पर निगरानी के लिए लगाई गई है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Aug 2020 11:23 PM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 06:08 AM (IST)
बार्डर के जंगल की निगरानी करेंगे ग्रीन सोल्जर
बार्डर के जंगल की निगरानी करेंगे ग्रीन सोल्जर

पीलीभीत,जेएनएन : टाइगर रिजर्व के महोफ रेंज का जंगल उत्तराखंड के सुरई रेंज के जंगल से सटा हुआ है। बार्डर के जंगल में पूर्व में शिकारियों की सक्रियता रही है। ऐसे में पीटीआर प्रशासन कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। बार्डर के इस जंगल में निगरानी के लिए 81 सदस्यीय ग्रीन सोल्जर की ड्यूटी विभिन्न स्थानों पर निगरानी के लिए लगाई गई है। इस रेंज के कुल 14 हजार 739 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रत्येक ग्रीन सोल्जर को गश्त व निगरानी के लिए अलग-अलग इलाका आवंटित किया गया है। ग्रीन सोल्जर को कुल 18 किमी लंबाई और 9 किमी चौड़ाई में लगातार गश्त करना है।

शिकारियों से जंगल की संपदा व वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए अपनाई गई इस रणनीति पर काम शुरू कर दिया गया है। पीटीआर के जंगल का कुल एरिया 73 हजार हेक्टेयर से ज्यादा है। देखरेख के लिए इसे पांच विभिन्न रेंजों में विभाजित किया गया है। हर साल 15 जून से 15 नवंबर तक मानसून गश्त की जाती है। पैदल व गाड़ी से जंगल के चप्पे-चप्पे पर निगाह रखने का काम वन विभाग कर्मचारी करते हैं। महोफ रेंज का जंगल उत्तराखंड की सुरई रेंज के जंगल से बिल्कुल सटा है। बार्डर के इस जंगल में मौका पाते ही शिकारी सक्रिय हो जाते हैं। इसी वजह से यहां के जंगल की मानसून सीजन में सुरक्षा और निगरानी के लिए खास रणनीति अपनाई जा रही है। इस रेंज को पांच सेक्शन और 12 बीट में विभाजन किया गया। रेंज में एक रेंजर, एक डिप्टी रेंजर, 6 फॉरेस्टर, 5 फॉरेस्ट गार्ड, 40 वॉचर, 4 समान वेतन कर्मी और 2 टीसी समेत कुल 81 ग्रीन सोल्जर निगरानी का जिम्मा संभाले हुए हैं। रेंजर को 24 घंटे में 60 किलोमीटर ,फॉरेस्टर को 100 किलोमीटर, फॉरेस्ट गार्ड को 80 किलोमीटर गश्त करने के निर्देश दिए हैं। इनसेट

कम संसाधन में ही वन जीवन पर निगरानी

महोफ के रेंजर आरिफ जमाल का कहना है कि संसाधन भले ही कम हैं लेकिन हमें इसी में वन्य जीवन का सुरक्षा घेरे को मजबूत रखना है। रेंज में दिए गए टारगेट को ग्रीन सोल्जर को पूरा करना है। वन्य जीवन के सुरक्षा घेरे में कोई कमी नहीं आएगी। इस समय में उत्तराखंड बार्डर से लेकर माला रेंज, बराही रेंज बॉर्डर तक लगातार गश्त की जा रही है। यह गश्त मानसून सत्र के बाद भी जारी रहेगी।

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