नकद पैसा पाने को सस्ता बेच रहे गन्ना

चीनी मिल को गन्ना आपूर्ति कर भुगतान पाने के लिए किसानों को लंबा इंतजार करना पड़ा। अभी तक पिछले पेराई सत्र का पूरा भुगतान किसानों को नहीं मिल सका है। ऐसे में इस बार तमाम किसान घाटा उठाकर भी चीनी मिल के बजाय क्रेशर पर गन्ना बेचने को मजबूर हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 12:04 AM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 12:04 AM (IST)
नकद पैसा पाने को सस्ता बेच रहे गन्ना
नकद पैसा पाने को सस्ता बेच रहे गन्ना

पीलीभीत,जेएनएन : चीनी मिल को गन्ना आपूर्ति कर भुगतान पाने के लिए किसानों को लंबा इंतजार करना पड़ा। अभी तक पिछले पेराई सत्र का पूरा भुगतान किसानों को नहीं मिल सका है। ऐसे में इस बार तमाम किसान घाटा उठाकर भी चीनी मिल के बजाय क्रेशर पर गन्ना बेचने को मजबूर हो रहे हैं। कहना है कि भले ही क्रेशर पर गन्ने का दाम काफी कम है लेकिन तुरंत मिल जाता है। जिससे जरूरतें पूरी कर लेते हैं।

कस्बा स्थित बजाज हिदुस्तान शुगर मिल में पिछले कई वर्षों से गन्ना मूल्य भुगतान की स्थिति सबसे लचर रही है। पड़ोस में ही नोवल क्रेशर स्थापित है। तमाम किसान मिल में आपूर्ति के लिए पर्ची का एसएमएस आने का इंतजार न करके गन्ना कटवाकर क्रेशर पर बेच रहे हैं। कई किसानों ने यह भी बताया कि सट्टा ही नहीं बन पाया है। कुछ किसानों का गन्ना अधिक है मगर पर्ची कम लगी हैं। इसलिए अतिरिक्त गन्ना क्रेशर-कोल्हू पर बेच कर गेहूं की बुवाई के लिए खाद बीज आदि का इंतजाम कर रहे हैं। शुगर मिल का भाव 325 क्विंटल है और क्रेशर का भाव 225 क्विंटल है। ऐसे में किसानों को सौ रुपये प्रति क्विंटल का घाटा उठाना पड़ रहा है।

रम्पुरा नत्थू के किसान चोखेलाल बताते हैं कि गन्ने की फसल अधिक है, पर्ची कम हैं। वह भी अभी आई नहीं है। गेहूं की बुवाई भी करनी है। ऐसे में गन्ने को तो कहीं ना कहीं ठिकाने लगाना ही है। अब घाटा तो है लेकिन गेहूं तो बोना ही है।

किसान कन्हैयालाल का कहना है कि पर्ची आ नहीं रही है। गेहूं की बुवाई करनी है। गन्ने की फसल को क्रेशर वालों के यहां बेचकर गेहूं बोने की तैयारी की जा रही है। हालांकि क्रेशर पर दाम कम मिला है।

पुरैनिया रामगुलाम के किसान बादशाह का कहना है कि क्रेशर में गन्ना बेचने से 100 रुपये क्विंटल कम मिल रहा है। कम से कम इससे तो अच्छा है कि वर्षों गन्ने के पेमेंट का इंतजार तो नहीं करना पड़ रहा है

ईंटा रोरा गांव के किसान नरेश कुमार कहते हैं कि कि क्रेशर के हाथ गन्ना बेचकर हम संतुष्ट हैं। भले ही दाम कम मिल रहा है मगर नकद मिल रहे हैं। मिलों को गन्ना देने के बाद पैसे फंस जाता है।

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