किसानों को धान में घाटा होने की आशंका
पिछले दिनों बेमौसम की बरसात अन्नदाताओं पर आफत बनकर टूटी। खेतों में खड़ी धान की तैयार फसल तेज हवा व बारिश के चलते जमीन में बिछ गई। इस बार किसानों को धान की फसल लागत काफी खर्च करनी पड़ी जबकि पैदावार में कमी के आसार हैं। ऐसे में अमरिया क्षेत्र के किसानों के लिए धान की खेती में घाटा होने की आशंका है।
पीलीभीत,जेएनएन : पिछले दिनों बेमौसम की बरसात अन्नदाताओं पर आफत बनकर टूटी। खेतों में खड़ी धान की तैयार फसल तेज हवा व बारिश के चलते जमीन में बिछ गई। इस बार किसानों को धान की फसल लागत काफी खर्च करनी पड़ी जबकि पैदावार में कमी के आसार हैं। ऐसे में अमरिया क्षेत्र के किसानों के लिए धान की खेती में घाटा होने की आशंका है।
एक तो अन्नदाता फसलों में लगे रोग व कीट से पहले ही परेशान थे। उन्हें तीन-चार बार कीटनाशक का छिड़काव करना पड़ा। बीच में बरसात न होने से सूखा पड़ गया। तब किसानों ने कर्ज लेकर महंगे डीजल से फसलों की तीन तीन बार सिचाई करनी पड़ी। जब फसल तैयार होने के नजदीक पहुंची तो बेमौसम की बरसात ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। बारिश के साथ तेज हवा ने गन्ना व धान की फसलों को जमीन में बिछा दिया। कहीं कहीं तो धान की फसल में बारिश का पानी भर गया। फसल को बचाने के लिए किसान मजदूरी पर धान की बालियों की बंधाई करा रहे हैं। एक बीघा जमीन में हजार से पंद्रह सौ रुपये का खर्च आ रहा है। हालांकि राजस्व विभाग की ओर से फसलों में हुए नुकसान का आंकलन कराया जा रहा है लेकिन किसानों को मुआवजे की उम्मीद धुंधली दिखाई दे रही है। किसानों का कहना है कि जो धान काटा गया है, वह हजार-बारह सौ में बिक रहा है। ऐसे में तो फसल की लागत भी नहीं लौटेगी।
तैयार फसलों पर बरसात होने से बहुत नुकसान हुआ है। खेतों में व धान पानी में गिरकर खराब हो रहा है। जिससे फसलों के उत्पादन में बहुत गिरावट होगी। ऐसे में घाटा उठाना पड़ेगा।
सुरजीत सिंह
फसलों की सिचाई करके मुश्किल से बचाया। लागत काफी बढ़ गई है। दो बार बोरिग इंजन से फसलों की सिचाई की है। जब पानी की आवश्यकता नहीं रही तब बरसात ने फसलों को खराब कर दिया।
जुल्फिकार अहमद
फसलों में लगातार कीटनाशक का छिड़काव कर फसलों को बचाया। बाद में सूखा पड़ने से फसलों की सिचाई करनी पड़ी। एक सप्ताह में फसलों की कटाई शुरू होने वाली थी बरसात ने सारा खेल बिगाड़ दिया।
रियाज अहमद खां
धान व गन्ने की अधिकांश फसलें बेमौसम की बरसात से प्रभावित हुई हैं। किसान का तो सारा दारोमदार फसलों पर ही निर्भर है,लेकिन अचानक बरसात ने कमर तोड़ दी। पानी में धान गिरा पड़ा है।
मंगली प्रसाद वर्मा