भूलने की आदत को न करें नजरअंदाज, तुरंत कराएं इलाज
पीलीभीतजेएनएन राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मानसिक रोगों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने व उनका उपचार करने के उपाय किए जा रहे हैं। मंगलवार को विश्व अल्जाइमर दिवस पर राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह की शुरुआत हुई। इस दौरान जिला अस्पताल के मन कक्ष में आयोजित विशेष शिविर में 40 मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचे। इनमें से सात मरीजों में अल्जाइमर के लक्षण पाए गए। मरीजों की समुचित काउंसलिग की गई। साथ ही मरीजों को लक्षण के अनुसार दवा भी उपलब्ध कराई गई।
पीलीभीत,जेएनएन: राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मानसिक रोगों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने व उनका उपचार करने के उपाय किए जा रहे हैं। मंगलवार को विश्व अल्जाइमर दिवस पर राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह की शुरुआत हुई। इस दौरान जिला अस्पताल के मन कक्ष में आयोजित विशेष शिविर में 40 मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचे। इनमें से सात मरीजों में अल्जाइमर के लक्षण पाए गए। मरीजों की समुचित काउंसलिग की गई। साथ ही, मरीजों को लक्षण के अनुसार दवा भी उपलब्ध कराई गई।
जिला अस्पताल में साइकोथेरेपिस्ट डा. पल्लवी सक्सेना ने बताया कि भूलने की आदत, रात में नींद न आना, छोटी-छोटी चीज रखकर भूल जाना, लोगों को पहचानने में परेशानी होना, घबराहट, उदासी आदि अल्जाइमर के लक्षण हैं। इन्हें छिपाने की कोशिश न करें। सही समय पर मानसिक रोगों के लक्षण पहचानकर इलाज कराएं जिससे कोई गंभीर मानसिक रोग न बने। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल के कक्ष संख्या 87 में मानसिक रोगों संबंधी परामर्श निश्शुल्क लिए जा सकते हैं। किसे हो सकता है अल्जाइमर: अल्जाइमर एक प्रकार का डिमेंशिया रोग है जिसमें रोगी को भूलने की परेशानी बढ़ जाती है। साइकोथेरेपिस्ट डा. पल्लवी ने बताया कि अल्जाइमर आमतौर पर 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों में देखने को मिलता था लेकिन अब 40 वर्ष तक के लोग इसका शिकार हो रहे हैं। अधिक व्यस्त जीवनशैली, तनाव व असंतुलित खानपान के कारण लोगों में अवसाद व चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है। स्मरण शक्ति में कमी आ रही है। अनियंत्रित रक्तचाप व मधुमेह भी अल्जाइमर का एक कारण हो सकते हैं। कई मरीजों में अल्जाइमर का परिवारिक इतिहास भी देखने को मिलता है, ऐसे मरीजों को अल्जाइमर होने की आशंका अधिक होती है। इसके अलावा सिर में चोट, मस्तिष्क के जैव रासायनिक तत्वों में गड़बड़ी, दिमागी कोशिकाओं में टूटफूट के कारण भी अल्जाइमर की समस्या उत्पन्न हो सकती है। अल्जाइमर से कैसे बचें: लक्षण दिखते ही परामर्श लेना व इलाज शुरू कराना ही समझदारी है। इसमें दवा के साथ साथ काउंसलिग, व्यायाम व दिमागी कसरत के कुछ अभ्यास कराकर मरीज का इलाज किया जाता है। इसके अलावा संतुलित खानपान, नियमित योगासन, प्राणायाम करने व तनाव से बचने की सलाह दी जाती है। उपचार के दौरान मरीज की काउंसलिग सबसे महत्वपूर्ण चरण है। यह सुविधा जिला अस्पताल के मन कक्ष में उपलब्ध है।