सप्ताह भर से लखनऊ नहीं भेजे डेंगू आशंकित नमूने
पीलीभीतजेएनएन डेंगू नियंत्रण में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डेंगू की गंभीरता और उससे परेशान जनता के हालात से बेफिक्र हैं। यही कारण है कि अब डेंगू आशंकित मरीजों के नमूने एलाइजा जांच के लिए भेजने में भी लापरवाही बरती रही है। एक सप्ताह से डेंगू आशंकित मरीजों के नमूना एलाइजा जांच के लिए लखनऊ नहीं भेजे गए हैं। सीएमओ कार्यालय में नमूने एकत्र कर बिना आइसबाक्स के रखे हैं जिनके हफ्ते भर बाद खराब होने की आशंका जताई जा रही है। मंगलवार को सीएमओ कार्यालय में पन्नी में पैक नमूने देखे गए जिसमें 3 अक्टूबर तक के नमूने रखे हैं।
पीलीभीत,जेएनएन: डेंगू नियंत्रण में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डेंगू की गंभीरता और उससे परेशान जनता के हालात से बेफिक्र हैं। यही कारण है कि अब डेंगू आशंकित मरीजों के नमूने एलाइजा जांच के लिए भेजने में भी लापरवाही बरती रही है। एक सप्ताह से डेंगू आशंकित मरीजों के नमूना एलाइजा जांच के लिए लखनऊ नहीं भेजे गए हैं। सीएमओ कार्यालय में नमूने एकत्र कर बिना आइसबाक्स के रखे हैं, जिनके हफ्ते भर बाद खराब होने की आशंका जताई जा रही है। मंगलवार को सीएमओ कार्यालय में पन्नी में पैक नमूने देखे गए जिसमें 3 अक्टूबर तक के नमूने रखे हैं।
जनपद भर की सरकारी व निजी पैथोलाजी लैब से मरीजों के डेंगू आशंकित नमूने (सैंपल) एकत्र कर किग जार्ज मेडिकल कालेज लखनऊ भेजे जाते हैं। इसके लिए सीएमओ कार्यालय में नियुक्त एसीएमओ रैंक के जिला सर्विलांस अधिकारी व एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आइडीएसपी सेल) की टीम जिम्मेदार होती है। दोनों पर संचारी रोगों के नियंत्रण व निगरानी की जिम्मेदारी है। आइडीएसपी सेल व जिला सर्विलांस अधिकारी का संवेदनहीन रवैया पहले भी सामने आ चुका है। कोरोना काल में दोनों जिम्मेदारों की ओर से कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई गई। अब डेंगू के दौरान भी कमोवेश वही स्थिति है। केवल कागजी खानापूरी करअधिकारियों को गुमराह करने की कोशिश हो रही है।
सीएमओ कार्यालय में पड़े नमूने : पिछले एक सप्ताह से लगभग 150 डेंगू आशंकित मरीजों के सैंपल मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में पड़े हुए हैं। इन नमूनों को अभी तक एलाइजा जांच के लिए लखनऊ नहीं भेजा गया है। सप्ताह भर से पड़े हुए नमूनों के खराब होने की आशंका प्रबल है। नमूनों भेजने में हो रही देरी व रखरखाव में बरती जा रही लापरवाही से मरीजों की जान जोखिम में पड़ रही है। संक्रमितों को छिपाने के लिए होती देरी
स्वास्थ्य विभाग एलाइजा जांच के बिना मरीज को डेंगू संक्रमित नहीं मानता है। एलाइजा जांच के लिए नमूने देरी से भेजने का मकसद मरीजों के आंकड़ों को नियंत्रित रखना है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मरीजों के नमूना एकत्र न करना व एकत्र नमूनों को देरी से भेजने के पीछे रणनीति रहती है। जितने कम आशंकितों के नमूने एकत्र होंगे, उतने कम नमूने एलाइजा के लिए भेजने पड़ेंगे। थोड़े दिन नमूने कार्यालय में रोक लिया जाता है जिससे कई बार नमूने लैब पहुंचते पहुंचते खराब हो जाता है। ऐसे में संक्रमित मरीज भी सरकारी रिकार्ड में आने से बच जाता है। अगर सभी निजी लैब से नमूने सही से एकत्र किए जाएं तो दैनिक आधार पर सौ आशंकित मरीजों के नमूनों का डाटा बन सकता है। पिछली रिपोर्ट में भी खराब पाए जा चुके नमूने
लखनऊ से आने वाली एलाइजा जांच की रिपोर्ट में पहले भी कई बार नमूने खराब होने की रिपोर्ट आ चुकी है। इसके बाद भी स्वास्थ्य महकमा समय से कार्रवाई नहीं करता है। इसके अलावा लगभग आठ से दस दिन बाद सैंपल भेजे जाते हैं जिससे रिपोर्ट आने के बाद मरीज की ट्रेसिग व संक्रमित क्षेत्र में सर्विलांस कार्य में काफी विलंब हो जाता है। नमूना समय से न भेजा जाना गलत है। इस बाबत डा. अश्वनी से जानकारी ली जाएगी। अगर ऐसी लापरवाही सामने आती है तो कार्रवाई की जाएगी।
- डा. केके जौहरी, प्रभारी सीएमओ