कोविड जांच रिपोर्ट न होने पर बच्चे लाभ से वंचित

अनाथ हो चुके इन मासूम बच्चों के पास इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि उनके पिता की मौत कोरोना संक्रमण से हुई। क्योंकि संक्रमित होकर उनके पिता बीमार पड़े। कोविड जांच हो पाती इससे पहले ही उनकी मौत हो गई। ऐसे में ये मासूम उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से वंचित रह गए।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 11:17 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 11:17 PM (IST)
कोविड जांच रिपोर्ट न होने पर बच्चे लाभ से वंचित
कोविड जांच रिपोर्ट न होने पर बच्चे लाभ से वंचित

पीलीभीत,जेएनएन : अनाथ हो चुके इन मासूम बच्चों के पास इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि उनके पिता की मौत कोरोना संक्रमण से हुई। क्योंकि संक्रमित होकर उनके पिता बीमार पड़े। कोविड जांच हो पाती, इससे पहले ही उनकी मौत हो गई। ऐसे में ये मासूम उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से वंचित रह गए।

नगर के मुहल्ला दुर्गा प्रसाद निवासी कमलाचरण ठेले पर चाट बिक्री कर परिवार का गुजारा करते थे। सात वर्ष पूर्व उनकी पत्नी रामा देवी की मृत्यु लीवर में सूजन आ जाने के कारण हो गई थी। उसके बाद बेटी संगीता, मंजू व पुत्र दिवाकर का पालन पोषण की पूरी जिम्मेदारी कमलाचरण के कंधों पर आ गई थी। विगत मई में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान कमलाचरण कोरोना से संक्रमित हो गए। विगत 22 मई को उनकी सांसें थम गई। ऐसे में तीनों बच्चे अनाथ हो गए। इन मासूमों का दुर्भाग्य यह है कि मौत से पहले उनके पिता का कोरोना टेस्ट भी नहीं हो सका था। उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना में शामिल होने के लिए मृतक की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट अनिवार्य की गई है। ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं होने के कारण इन बच्चों का योजना में चयन नहीं हो सका है। इन मासूमों के लिए दो वक्त की रोटी की समस्या आड़े आ गई। दैनिक जागरण में विगत 23 जून के अंक में अनाथ बच्चों कि प्रशासन द्वारा सुधि ना लेने की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। इसका संज्ञान लेते हुए भाजपा विधायक रामसरन वर्मा, उप जिलाधिकारी राकेश कुमार गुप्ता, पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रशांत कुमार, प्रभारी निरीक्षक कमल सिंह व नगर पालिका परिषद के आराजी प्रभारी अकरम के साथ इन बच्चों के घर पहुंचे। उन्हें दस हजार की आर्थिक सहायता मुहैया कराई गई। जिस मकान में ये तीनों रह रहे हैं, वह गिरताऊ हालत में है। हालांकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास बनने के लिए धनराशि स्वीकृत हो चुकी है। डेढ़ लाख रुपये की किस्त पिता के बैंक खाते में आ चुकी है। तीनों बच्चे नाबालिग होने के कारण धनराशि नहीं निकल पा रहे हैं। उप जिलाधिकारी राकेश कुमार गुप्ता का कहना है कि कोविड जांच का प्रमाण पत्र ना होने के कारण बच्चों का योजना में चयन नहीं हो पाया। इसके बावजूद उनकी मदद को वह पूरी तरह से प्रयासरत हैं। आवास की धनराशि दिलाने के लिए डूडा को पत्र भेजेंगे। उधर, जिला प्रोबेशन अधिकारी संजय कुमार निगम के अनुसार आरटीपीसीआर, एंटीजन या सीटी स्कैन की कोई न कोई ऐसी रिपोर्ट अवश्य होनी चाहिए, जिससे प्रमाणित हो सके कि संबंधित व्यक्ति की मृत्यु कोरोना संक्रमण से हुई है। उन्होंने बताया कि इन तीनों बच्चों के लिए जिलाधिकारी से अनुरोध कर किसी अन्य योजना से आर्थिक सहायता दिलाई जाएगी।

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