आरटीई प्रकरण में बीएसए का स्पष्टीकरण तलब

पीलीभीतजेएनएन शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के अंतर्गत होने वाले प्रवेश में चयन के बाद सत्यापन में हुई गड़बड़ी को लेकर मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत कुमार श्रीवास्तव ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से स्पष्टीकरण तलब किया है। सीडीओ ने गत वर्ष की तरह इस बार भी गलती दोहराने पर बीएसए से जवाब मांगा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 11:35 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 11:35 PM (IST)
आरटीई प्रकरण में बीएसए का स्पष्टीकरण तलब
आरटीई प्रकरण में बीएसए का स्पष्टीकरण तलब

पीलीभीत,जेएनएन: शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के अंतर्गत होने वाले प्रवेश में चयन के बाद सत्यापन में हुई गड़बड़ी को लेकर मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत कुमार श्रीवास्तव ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से स्पष्टीकरण तलब किया है। सीडीओ ने गत वर्ष की तरह इस बार भी गलती दोहराने पर बीएसए से जवाब मांगा है।

गत वर्ष भी प्रवेश को भटके अभिभावक: आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में गत वर्ष भी चयनित बच्चों के अभिभावकों को प्रवेश कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। अभिभावकों द्वारा निवास स्थान से इतर विद्यालयों का चयन किया गया था जिस पर विभाग ने सत्यापन कर प्रवेश की अनुमति प्रदान कर दी थी। चयनित बच्चों की सूची जब निजी विद्यालयों में पहुंची तो प्रबंधकों ने नियम का हवाला देते हुए वार्ड से इतर बच्चों का चयन करने से हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में अभिभावकों को प्रवेश के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था। पिछले वर्ष अभिभावकों ने जिलाधिकारी समेत शासन तक प्रवेश न मिलने की शिकायतें की तो बीएसए चंद्रकेश सिंह ने अक्टूबर 2020 में समाचार पत्रों के माध्यम से विज्ञापन निकलवाकर वार्ड के अनुसार विद्यालय आवंटन के लिए अभिभावकों को कार्यालय बुलाया था। लगातार दूसरे वर्ष फिर वही गलती: इस वर्ष भी कमोवेश बिल्कुल यही स्थिति रही। अभिभावकों ने अपने निवास स्थान वाले वार्ड को छोड़कर अन्य वार्डों के विद्यालय आवेदन पत्र में भर दिए। लाटरी निकलने के बाद जब सूची सत्यापन हेतु खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) को दी गईं तो उन्होंने भी आंख बंद कर सभी का सत्यापन कर दिया। लापरवाही की हद तब हो गई जब हरदोई और बरेली के निवास पर आए आवेदनों को भी जनपद में प्रवेश हेतु सत्यापित कर जिलाधिकारी से फाइल पर हस्ताक्षर करा लिए गए। मामला खुला तो 68 बच्चों को मिला लाभ: दैनिक जागरण ने जब विभागीय लापरवाही व अभिभावकों की समस्या को उजागर किया तो अधिकारियों की नींद खुली। सीडीओ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए गलत चयनों में सुधार कराकर नए सिरे से प्रवेश सूची निर्गत कराई जिससे 68 बच्चों को आरटीई के अंतर्गत निश्शुल्क प्रवेश पाने का मौका मिल सका। अब सीडीओ ने लगातार दो वर्षों में हुई समान गलती को लापरवाही मानते हुए स्पष्टीकरण मांगा है। एक बार कोई त्रुटि होती है तो उसको भूल माना जा सकता है कितु अगर लगातार दोनों वर्षों में एक समान गलती हुई है तो यह लापरवाही की श्रेणी में आता है। इसके लिए बीएसए की जबाबदेही तय की जाएगी। आरटीई प्रकरण में बीएसए से स्पष्टीकरण मांगा गया है।

- प्रशांत कुमार श्रीवास्तव, सीडीओ

chat bot
आपका साथी