संभलकर निकलें नदी व पोखर के पास,मगरमच्छ बैठे तैयार
तराई के जिले में वन्यजीवों की बहुलता है। जंगल में बाघ तेंदुआ और भालू जैसे हिसक वन्यजीव तो नदियों तालाबों में मगरमच्छ पल रहे हैं। बरसात के दिनों में अक्सर मगरमच्छ पानी बढ़ने पर बाहर निकलकर खेतों व गांवों में लोगों के घरों तक पहुंच जाते हैं। ऐसे में नदी तालाब के आसपास रहने वालों को ज्यादा सतर्कता बरतनी पड़ती है।
पीलीभीत,जेएनएन : तराई के जिले में वन्यजीवों की बहुलता है। जंगल में बाघ, तेंदुआ और भालू जैसे हिसक वन्यजीव तो नदियों, तालाबों में मगरमच्छ पल रहे हैं। बरसात के दिनों में अक्सर मगरमच्छ पानी बढ़ने पर बाहर निकलकर खेतों व गांवों में लोगों के घरों तक पहुंच जाते हैं। ऐसे में नदी, तालाब के आसपास रहने वालों को ज्यादा सतर्कता बरतनी पड़ती है। सामाजिक वानिकी विभाग की ओर से भी इसके लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जाता रहा है।
यहां शारदा सागर डैम से लेकर खकरा, देवहा, माला, खन्नौत, अप्सरा, कटिना आदि नदियों में काफी संख्या में मगरमच्छ पल रहे हैं। ये मगरमच्छ अक्सर नदियों के निकट वाले तालाबों में भी शिकार की तलाश में चले जाते हैं। बरसात के सीजन में जब नदियों, तालाबों में पानी बढ़ जाता है तो मगरमच्छ बाहर निकल आते हैं। पिछले तीन दिन तक जिले में हुई बारिश के बाद दो स्थानों पर मगरमच्छ निकलने की घटनाएं हो चुकी हैं। गजरौला सहराई गांव में जगप्रीत सिंह का घर माला नदी के करीब है। शनिवार की रात एक मगरमच्छ नदी से निकलकर उनके घर में घुस गया। मगरमच्छ को देखते ही परिवार में खलबली मच गई। तुरंत ही सामाजिक वानिकी को सूचना दी गई। विभाग की टीम ने रात में ही मौके पर पहुंचकर मगरमच्छ को रेस्क्यू कर लिया। बाद में उसे टाइगर रिजर्व के जंगल के भीतर एक नदी में सुरक्षित छोड़ दिया गया। सोमवार को बीसलपुर के गांव चौखंडी में मगरमच्छ एक खेत में पहुंच गया। किसान जब खेत में अपनी गन्ना फसल देखने पहुंचा तो जमीन पर लेटे मगरमच्छ को वह नहीं देख सका। जब उसका पैर मगरमच्छ के पिछले हिस्से पर पड़ा तो मगरमच्छ पलटकर हमलावर हुआ। उसे देखते ही किसान गांव की ओर भाग खड़ा हुआ। अभी तो बरसात का पूरा सीजन बाकी है। ऐसे में नदी, तालाब के पास से गुजरते हुए या ऐसे स्थानों के निकट रहने के दौरान विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। सामाजिक वानिकी वन्यजीव विहार के डीएफओ संजीव कुमार कहते हैं कि पानी बढ़ने पर अक्सर मगरमच्छ बाहर निकल आते हैं। मगरमच्छ की विशेषता यह है कि यह सूखे स्थानों पर भी तेजी से चल सकता है। उन्होंने बताया कि विभाग की टीमें नदियों, तालाबों के आसपास रहने वालों को लगातार जागरूक करती रहती हैं कि अगर कहीं मगरमच्छ या अन्य कोई वन्यजीव दिखे तो तुरंत सूचना दें। वन्यजीव से छेड़छाड़ न करें, क्योंकि वे तभी हमलावर होते हैं, जब खुद को असुरक्षित पाते हैं। डीएफओ के अनुसार विभाग ने पिजरे बनवा रखे हैं। कहीं से जब यह सूचना आती है कि मगरमच्छ पानी से बाहर निकलकर खेत या किसी के घर तक पहुंच गया तो तुरंत टीम को भेजकर उसे रेस्क्यू कर लिया जाता है। इसके बाद सुरक्षित ढंग से वापस किसी नदी में छोड़ देते हैं।