अंधविश्वास के प्रति छात्राओं में आई जागरूकता

पीलीभीतजेएनएन बच गए इमली के पेड़ यह कहानी न सिर्फ मनोरंजक है बल्कि शिक्षाप्रद भी। क्योंकि अंधविश्वास समाज की सबसे बड़ी कमजोरी होती है। इस कहानी में अंधविश्वास पर प्रहार करने के साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को विज्ञान का ²ष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रेरित किया गया है। जागरण संस्कारशाला में प्रकाशित इस कहानी का वाचन गुरुवार को आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं के समक्ष किया गया। कालेज की प्रधानाचार्य अनीता देवी ने छात्राओं को कहानी सुनाते हुए बताया कि किस तरह से कहानी के मुख्य पात्र आकाश के पुश्तैनी गांव में किस तरह से अंधविश्वास के चलते इमली के पेड़ों का सफाया कर दिया गया। गांव के लोगों में अंधविश्वास फैला था कि इमली के इन पेड़ों पर भूत-प्रेत का वास रहता है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 11:06 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 11:06 PM (IST)
अंधविश्वास के प्रति छात्राओं में आई जागरूकता
अंधविश्वास के प्रति छात्राओं में आई जागरूकता

पीलीभीत,जेएनएन : बच गए इमली के पेड़ यह कहानी न सिर्फ मनोरंजक है बल्कि शिक्षाप्रद भी। क्योंकि अंधविश्वास समाज की सबसे बड़ी कमजोरी होती है। इस कहानी में अंधविश्वास पर प्रहार करने के साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को विज्ञान का ²ष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रेरित किया गया है।

जागरण संस्कारशाला में प्रकाशित इस कहानी का वाचन गुरुवार को आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं के समक्ष किया गया। कालेज की प्रधानाचार्य अनीता देवी ने छात्राओं को कहानी सुनाते हुए बताया कि किस तरह से कहानी के मुख्य पात्र आकाश के पुश्तैनी गांव में किस तरह से अंधविश्वास के चलते इमली के पेड़ों का सफाया कर दिया गया। गांव के लोगों में अंधविश्वास फैला था कि इमली के इन पेड़ों पर भूत-प्रेत का वास रहता है। ग्रामीणों के इस अंधविश्वास को दूर करने के लिए आकाश, उसके पिता और पिता के शिक्षक मित्र ने मिलकर ऐसी योजना तैयार की कि गांव के लोगों का अंधविश्वास दूर हो गया। प्रधानाचार्य ने छात्राओं को कहानी के मूल भाव के परिचित कराते हुए कहा कि हमारा ²ष्टिकोण वैज्ञानिक होना चाहिए। विज्ञान से ही देश-दुनिया में प्रगति हुई है। किसी भी बात पर अंधविश्वास बिल्कुल नहीं करना चाहिए बल्कि उसे विज्ञान की कसौटी पर कसें। कहानी हमें यही प्रेरणा देती है। छात्राओं की बात

संस्कारशाला की कहानी बहुत अच्छी लगी। यह कहानी हमें अंधविश्वास से दूर रहने के लिए प्रेरित करती है। अगर आकाश के गांव के लोग अंधविश्वासी न होते तो इमली के पेड़ काटने की नौबत नहीं आती। वृक्ष हमारे लिए प्रकृति के उपहार हैं।

काम्या मिश्रा किसी भी प्रकार का अंध विश्वास समाज को पीछे ढकेलने का काम करता है। अगर आकाश गांव जाने की जिद न करता तो गांव के लोग अंध विश्वास में बचे खुले पेड़ भी काट डालते। उसकी जागरूकता से इमली के पेड़ बच गए।

महक फात्मा अक्सर लोग भूत-प्रेत के चक्कर में पड़ जाते हैं। गांवों में आज भी इस तरह के अंधविश्वास लोगों के मन में बने रहते हैं। इस कहानी से यह प्रेरणा मिली कि हम छात्राओं को चाहिए कि लोगों के मन से अंधविश्वास को निकालने के उपाय करें।

खुशी सक्सेना आकाश विज्ञान का छात्र था। उसने अपने गांव में बचपन के दौरान उन पेड़ों से इमली तोड़कर खाई थी। इसी कारण जब वह फिर गांव गया तो वे पेड़ गायब देखकर उसे दुख हुआ। इसीलिए उसने अपने पापा और उनके दोस्त की मदद से हल निकाला।

खुशी श्रीवास्तव हर तरह का अंधविश्वास अनुचित होता है। व्यक्ति और समाज की तरक्की में यह सबसे बड़ी बाधा होती है। समाज के अंधविश्वास पूरी तरह दूर होना चाहिए। हम सभी छात्राओं की भी यह जिम्मेदारी है कि अंधविश्वास के प्रति जागरूकता बढ़ाएं।

अक्षरा भारद्वाज शिक्षिकाओं की बात

बच गए इमली के पेड़ कहानी शिक्षाप्रद है। इसकी छात्राओं को यह सीख मिली है कि अंधविश्वास के प्रति सदैव सजग रहना चाहिए। विज्ञान के युग में अंधविश्वास के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इससे नुकसान ही होता है।

गुंजन पांडेय संस्कारशाला के तहत जागरण में प्रकाशित होने वाली कहानियां बहुत पठनीय होती हैं। हर कहानी में कोई न कोई शिक्षा होती है। जो बच्चों को जागरूक करती है। बच गए इमली के पेड़ कहानी से छात्राओं में अंधविश्वास के प्रति जागरूकता आई है।

मधु मिश्रा ग्रामीणों में अंधविश्वास न होता तो वे पेड़ काटने का काम नहीं करते। पेड़-पौधे आक्सीजन देने के साथ ही पथिकों को छांव भी देते हैं। इमली के पेड़ तो वैसे भी काफी बड़े होते हैं और इनकी उम्र भी ज्यादा होती है। आकाश के कारण अन्य पेड़ बच गए।

रेनू विज्ञान के इस युग में अंधविश्वास तो बिल्कुल नहीं चलना चाहिए। संस्कारशाला की कहानी हमें यही संदेश देती है। पेड़-पौधे तो हरियाली देते हैं, उन पर किसी तरह के भूत-प्रेत के रहने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। समाज को जागरूक होना पड़ेगा।

नाजिया उमर प्रधानाचार्य की बात

शिक्षा के साथ संस्कार भी बेहद आवश्यक हैं। जागरण की संस्कारशाला यही कार्य करती है। इसके तहत प्रकाशित होने वाली कहानियां बच्चों पर आधारित करके उन्हें जागरूक करने का महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। कहानी बच गए इमली के पेड़ काफी शिक्षाप्रद है। यह कहानी सुनने के बाद निश्चित रूप से हमारे विद्यालय की छात्राओं में अंधविश्वास के प्रति जागरूकता बढ़ी है।

अनीता देवी, प्रधानाचार्य

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